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नेट तटस्थता को चुनौती

इंटरनेट सेवा की तटस्थता के सिद्धांत को फिर चुनौती मिली है। देश की प्रमुख इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो ने टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथरिटी ऑफ इंडिया से नेट न्यूट्रिलिटी से संबंधित प्रावधान को बदलने की मांग की है।

नौ साल पहले नेट न्यूट्रलिटी का सवाल अहम होकर उभरा था। इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां चाहती थीं कि उन्हें फीस लेकर किसी वेबसाइट की स्पीड अधिक तेज करने और एल्गोरिद्म संबंधी प्राथमिकता देने का अधिकार मिले। लेकिन तब सिविल सोसायटी के विरोध और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेट न्यूट्रिलिटी के सिद्धांत को मिले भारी समर्थन के कारण इस मांग को ठुकरा दिया गया। अब ये मांग फिर से उठी है। देश की प्रमुख इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी रिलायंस जियो ने टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथरिटी ऑफ इंडिया (ट्राइ) से नेट न्यूट्रिलिटी से संबंधित प्रावधान को बदलने की मांग की है।

जियो का दावा है कि अब तकनीक अधिक उन्नत हो चुकी है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर बिना असर डाले अधिक शुल्क चुकाने वाले उपभोक्ताओं को अतिरिक्त सुविधा दी जा सकती है। जियो के मुताबिक ऐसा 5-जी तकनीक से संभव हुआ है। यह तकनीक 2016 में प्रचलन में नहीं थी, जब नेट न्यूट्रिलिटी के नियम बने। अब संभव है कि अधिक शुल्क देने वाले उपभोक्ताओं को तयशुदा अधिक अपलोडिंग स्पीड दी जाए तथा ऐसी व्यवस्था हो, जिससे वे डाउनलोडिंग संबंधी प्रतीक्षा समय में विलंब से बच सकें। मगर इस तर्क के साथ समस्या यह है कि आप जैसे ही किसी को अतिरिक्त सुविधा देते हैं, दूसरा उपभोक्ता अपने-आप भेदभाव का शिकार हो जाता है।

यह तर्क वैसा ही है, जैसे कहा जाए कि सार्वजनिक पानी आपूर्ति की सेवा में अधिक शुल्क देने वाले उपभोक्ताओं को रिजर्व ओस्मोसिस (आर.ओ) प्रक्रिया से शुद्ध किया हुआ जल मिलेगा, जबकि बाकी उपभोक्ताओं को साधारण पानी मिलेगा। अथवा, यह कि अधिक शुल्क देकर उपभोक्ता बिजली सप्लाई की सार्वजनिक व्यवस्था से ऐसी सेवा ले सकते हैं, जिसमें उन्हें स्थिर वोल्टेज या लोडशेडिंग के दौरान भी बिजली आपूर्ति की सुविधा मिलेगी। किसी घोषित धनिक तंत्र में ऐसा भेदभाव एक सहज चलन हो सकता है, लेकिन नागरिक समानता की अवधारणा से संचालित अपने को लोकतांत्रिक कहने वाले समाज में इसकी इजाजत नहीं हो सकती। इसलिए अपेक्षित है कि ट्राइ जियो की मांग को सिरे से ठुकरा दे। इसके अलावा कोई निर्णय लोगों को भारतीय व्यवस्था के स्वरूप के बारे में पुनर्विचार करने को मजबूर करेगा।

By NI Editorial

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