राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

मुद्दे की तलाश में

वोट चोरी गंभीर आरोप है, मगर इससे विपक्षी दल, उनके कार्यकर्ता और मध्य वर्ग के कुछ हिस्से जितना उत्तेजित हुए हैं, उतना आम जन के स्तर पर नहीं हुआ है। आम जन को ऐसे मुद्दे दूर से ही छू पाते हैं।

राहुल गांधी ने अब कहा है कि भारत के युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है बेरोजगारी है और इसका सीधा संबंध ‘वोट चोरी’ से है। उनका तर्क है कि ‘जब कोई सरकार जनता का विश्वास जीत कर सत्ता में आती है, तो उसका पहला कर्त्तव्य होता है युवाओं को रोजगार और अवसर देना।’ लेकिन भाजपा ईमानदारी से चुनाव नहीं जीतती, नतीजतन बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर है। गांधी का दावा है कि जब तक चुनाव चोरी से जीते जाएंगे, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार बढ़ते रहेंगे। तो इस तरह कांग्रेस नेता ने अपनी राजनीति का केंद्रीय बिंदु फिर बदला है।

कुछ महीनों से उनका मुद्दा सिर्फ वोट चोरी था। उसके पहले उनकी बातें जातीय जनगणना और सामाजिक न्याय पर केंद्रित होती थीं। उससे पहले संविधान बचाओ उनका प्रमुख नारा था। और पीछे जाएं, तो कई और ऐसे मुद्दे ढूंढे जा सकते हैं, जिन पर गांधी ने कुछ समय तक अपनी राजनीति केंद्रित की और फिर उसे छोड़ दिया। क्या वे लगातार किसी ऐसे जुमले की तलाश में हैं, जो लोगों उत्प्रेरित कर सके? यह साफ है कि अब तक वे ऐसा मुद्दा खोज नहीं पाए हैं। वोट चोरी गंभीर आरोप है, मगर इससे विपक्षी दल, उनके कार्यकर्ता और मध्य वर्ग के कुछ हिस्से जितना उत्तेजित हुए हैं, उतना आम जन के स्तर पर नहीं हुआ है। यह मुमकिन भी नहीं है। जिनके लिए अपनी जिंदगी में लोकतंत्र का सीमित अर्थ ही है, उन्हें ऐसे मुद्दे दूर से ही छू पाते हैं।

कांग्रेस नेतृत्व को भी इसका अहसास संभवतः हुआ है। बहरहाल, बेरोजगारी की वजह सिर्फ कथित वोट चोरी है या इसका असल संबंध अर्थव्यवस्था की दिशा एवं आर्थिक नीतियों से है, राहुल गांधी के ताजा बयान की रोशनी में यह सवाल अहम हो जाता है। इस वक्तव्य के साथ यह दिक्कत भी है कि इसमें भाजपा की मजहब आधारित गोलबंदी के असर को सिरे से नजरअंदाज किया गया है। शायद यह भी एक मुद्दा केंद्रित चिंतन का ही नतीजा है। बेहतर होगा कि गांधी अपनी इस सीमा पर आत्म-मंथन करें। वरना, चुनाव जिताऊ मुद्दे की उनकी तलाश अनवरत जारी रह सकती है।

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *