राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

ट्रंप और ट्रेड डील

भारत अमेरिकी कृषि पैदावार के लिए अपने बाजार और अधिक खोल सकता है। रूसी तेल का आयात घटाने का जिक्र भी संभव है। मगर तब सवाल उठेगा कि क्या भारत की संप्रभुता तथा ऊर्जा एवं कृषि हितों से समझौता किया गया है?

डॉनल्ड ट्रंप “महान व्यक्ति” नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ाते जा रहे हैं, जिनके बारे में ट्रंप का कहना है कि “गुजरे वर्षों के दौरान वे उनके घनिष्ठ मित्र” बन गए हैं। पहले दर्जनों बार दोहरा कर कि उन्होंने व्यापार रोकने की धमकी देकर भारत- पाकिस्तान के बीच ऑपरेशन सिंदूर को रुकवाया, वे मोदी के लिए असहज स्थिति पैदा करते रहे। अब हर मौके पर दोहराते हुए कि मोदी ने रूस से कच्चे तेल का आयात घटाने का वादा किया है, वे मोदी की छवि को नई चोट पहुंचा रहे हैं। इस बीच जब एक पत्रकार ने ट्रंप को ध्यान दिलाया कि रूसी तेल के बारे में उनके दावे का भारत ने खंडन किया है, तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि ‘ऐसा है, तो भारत को ऊंचा टैरिफ देना पड़ेगा।’

बहरहाल, दिवाली के मौके पर बधाई देने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को फोन किया, तो उसके तुरंत बाद हुई बातचीत की जानकारी उन्होंने साझा की। इस मौके पर उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई रुकवाने और रूसी तेल आयात घटाने संबंधी आश्वासन का जिक्र किया। तो कुल मिलाकर उन्होंने धारणा बनाई है कि अगर भारत का अमेरिका से ट्रेड डील हुआ, तो यह उनकी धमकियों और मध्यस्थता के कारण होगा। खबर है कि ट्रेड डील पर बात आगे बढ़ी है। मुमकिन है कि अगले हफ्ते आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मलेशिया में मोदी- ट्रंप की संभावित मुलाकात के दौरान इस बारे में एलान भी हो जाए।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक भारत अमेरिकी सोयाबीन, मक्का और कुछ अन्य कृषि पैदावार के लिए अपने बाजार और अधिक खोल सकता है। चीन के इन चीजों का आयात रोक देने के कारण ट्रंप पर इनके लिए नया बाजार ढूंढने का दबाव हैं। उस दौरान रूसी तेल संबंधी मोदी के कथित आश्वासन का जिक्र भी संभव है। साथ ही मुमकिन है ट्रंप कि भारत पर टैरिफ 15-16 प्रतिशत ही रखने की घोषणा करें। मगर ऐसा सचमुच हुआ, तो भारत सरकार पर कई सवाल उठेंगे। पूछा यह जाएगा कि क्या डील के लिए भारत की संप्रभुता तथा ऊर्जा एवं कृषि हितों से समझौता किया गया है?

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *