भारतीय अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने व्यापार समझौते का संशोधित ऑफर अमेरिका को दिया है। इसे अमेरिका ने अब तक का बेस्ट ऑफर माना है। लेकिन उसकी निगाह में वह काफी नहीं है। वह अभी और रियायतें झटकने पर अड़ा हुआ है।
अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीयर ने वहां की संसद में कहा कि भारत ने ट्रेड डील के लिए अब तक का सबसे अच्छा ऑफर दिया है। ये बयान लगभग उसी समय आया, जब द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर वार्ता के लिए उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्वित्जर के नेतृत्व में अमेरिकी दल नई दिल्ली आया हुआ था। ग्रीयर के बयान से कुछ हलकों में उम्मीद जगी कि अब आखिरकार व्यापार समझौते पर सहमति बन जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि उन्होंने समझौते का संशोधित ऑफर अमेरिका को दिया है। इसके बावजूद भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने संकेत दिया है कि मार्च से पहले समझौते की संभावना नहीं है।
स्पष्ट है, जिसे खुद अमेरिका ने भी बेस्ट ऑफर माना है, उसकी निगाह में वह काफी नहीं है। वह भारत से अभी और रियायतें झटकने पर अड़ा हुआ है। खबरों के मुताबिक भारत ने अमेरिकी बादाम, अखरोट, सेब, औद्योगिक उत्पादों, लग्जरी मोटरसाइकिलों आदि पर आयात शुल्क पूरी तरह हटाने की पेशकश की है। इसके बदले भारत ने सिर्फ यह मांग की है कि ट्रंप प्रशासन वो 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ हटा ले, जो रूसी तेल खरीदने के कारण भारत पर उसने लगाया है। अधिकारियों के मुताबिक अगर इस पेशकश पर भी समझौता हो जाता है, तो भारतीय व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं लगता की अमेरिका इस पर राजी है।
वह संभवतः भारत के पूरे कृषि एवं डेयरी बाजार को अपने उत्पादों के लिए खुलवाने से कम किसी बात पर सहमत नहीं है। अमेरिकी अधिकारी बेलाग कहते सुने गए हैं कि चीन के अमेरिकी कृषि पैदावार की खरीदारी सीमित करने से जो समस्या उनके सामने आई है, ट्रंप प्रशासन भारतीय बाजार खुलवा कर उसका समाधान निकालना चाहता है। क्या भारत इसके लिए राजी होगा? फिलहाल, अधिकारी मीडिया ब्रीफिंग में यही कह रहे हैं कि भारत के लिए ऐसा करना संभव नहीं है। उनका यह रुख बना रहा, तो नहीं लगता कि मार्च तक भी अमेरिका से व्यापार समझौता हो पाएगा। भारतीय व्यापारियों को इस हकीकत के मद्देनजर अपने लिए वैकल्पिक बाजार ढूंढने चाहिए।


