nayaindia Joshimath Sinking पहाड़ों में दरार प्राकृतिक प्रकोप या हमारी भूल...?
गेस्ट कॉलम

पहाड़ों में दरार प्राकृतिक प्रकोप या हमारी भूल…?

Share

भोपाल। हमारे देश की देवभूमि उत्तराखंड इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है, करोड़ों भारतीयों की धार्मिक भावना का यह केंद्र इन दिनों प्राकृतिक प्रकोप का केंद्र बिंदु बना हुआ है इसके कई क्षेत्रों में अचानक आई दरारों ने खलबली मचा दी है जो जोशीमठ से शुरू हुआ यह प्रकोप अब कर्ण प्रयाग, रुद्रप्रयाग तक फैल गया है, जोशीमठ के करीब 650 घरों में दरारें नजर आई है, यहां के मुख्य मार्ग भी इन दरारों से अछूते नहीं है, इसे श्रद्धालु ईश्वरीय प्राकृतिक प्रकोप मानते हैं, नई केंद्र व राज्य सरकार विशेषज्ञ से जांच कराने में जुट गई है, इधर कुछ लोग इस प्रकोप का कारण केंद्र सरकार की चार धाम को जोड़ने वाली प्रस्तावित रेल लाइन को मान रहे हैं, इस रेल परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए पहाड़ों में जहां लंबी सुरंग खोदी जा रही है, वही पहाड़ों में बारूदी विस्फोट भी किए जा रहे हैं, पूरे क्षेत्र में प्रतिदिन नई दरारें देखी जा रही है इससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई है और लोग अपने पुश्तैनी घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की खोज में भटक रहे हैं, स्वयं राज्य सरकार भी अब तक करीब 1000 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुकी है।

अब इन हादसों के कारण चाहे प्राकृतिक हो या मानव जनित, किंतु इस क्षेत्र में जो विगत कई वर्षों से धार्मिकता को लेकर जो किस्से कहानियां प्रचलित हैं लोग उनका श्री गणेश इन हादसों को बता रहे हैं, में स्वयं अपनी कई बार की चार धाम यात्रा में स्थानीय नागरिकों से यह किस्से कहानियां सुन चुका हूं, कहा जाता है कि जैसे जैसे कलयुग का प्रादुर्भाव बढ़ेगा वैसे-वैसे यह चार धाम क्षेत्र विलुप्ता की ओर बढ़ता जाएगा और घोर कलयुग के समय क्षेत्र को तीर्थ धाम से जोड़ने वाले नर नारायण पर्वत आपस में जुड़ जाएंगे तथा उसके बाद बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम सहित अन्य प्रसिद्ध तीर्थओ के मार्ग बंद हो जाएंगे इन्हीं किस्सौ मैं जोशीमठ के उस हनुमान मंदिर का भी प्रमुख रूप से जिक्र है जिसमें देश में एकमात्र यह मंदिर है जहां हनुमान जी लेटे हुए हैं तथा उनकी एक हाथ की कलाई धीरे-धीरे पतली होती जा रही है, यहां के लोगों का कहना है कि जिस दिन यह कलाई हाथ से अलग हो जाएगी उस दिन घोर कलयुग का प्रवेश शुरू हो जाएगा, इस तरह के अनेक किस्से कहानियां इस क्षेत्र में प्रचलित है, जहां तक जोशीमठ का सवाल यह इस क्षेत्र का प्रवेश द्वार है, जहां से धार्मिक यात्रा की शुरुआत होती है, अब क्योंकि इस प्रवेश द्वार से ही हादसों की शुरुआत हुई है इसलिए इसस को प्रचलित कथाऔ से जोड़कर देखा जा रहा है यद्यपि सरकार और वैज्ञानिक इन किस्सों कहानियों को कपोल कल्पित मानते हैं किंतु इस क्षेत्र की धर्म प्राण जनता इन हादसों से डरी सहमी अवश्य है आज से कुछ सालों पहले केदारनाथ में घटी प्राकृतिक घटना को भी इसी प्रकोप से जोड़कर देखा गया था, जिस में अचानक आई बाढ़ में कई श्रद्धालु बह गए थे, जिनके शव कई दिनों तक बड़ी दूर तक मिलते रहे।।

यद्यपि इस ताजे प्रकोप के घटनाक्रमों को लेकर फिलहाल केंद्र सरकार राज्य सरकार तथा वैज्ञानिक विशेषज्ञों ने अपना कोई कारण या फैसले की घोषणा नहीं की है, इन हादसों की कई पहलुओं से जांच की जा रही है, किंतु इन हादसों का प्रकोप थमा नहीं है, इस कारण इस क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों में दहशत व भय का माहौल है तथा नागरिकों में अफरा-तफरी मच गई है लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की खोज में अपने घरों से निकल पड़े हैं।

अब ऐसे माहौल में सरकार व जिला प्रशासन का दायित्व है कि वह इस देहशत के माहौल को कम करने का प्रयास करें, किंतु सरकार स्वयं हादसों के क्षेत्रों से लोगों को हटाकर अन्य क्षेत्रों में दहशत का माहौल पैदा कर रही है इस कारण पूरा उत्तराखंड का ग्रामीण क्षेत्र देहश्तजदा है और हर कहीं अफरा-तफरी मची हुई है। ऐसे माहौल में पुश्तैनी रुप से चले आ रहे किस्से कहानियों का बाजार गर्म हो गया है, जो वातावरण को और अधिक भय ग्रस्त बना रहा है ऐसे में सरकार को अपने दायित्व का निर्वहन ठीक से करना चाहिए।­

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें

Naya India स्क्रॉल करें