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बिहार: बदलाव की जोर आजमाइश में तेजस्वी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की लड़ाई दो गठबंधनों के बीच मानी जा रही है। हालांकि प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज सहित कई अन्य दल भी इस चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं। 

इस चुनाव में सत्ता पक्ष जहां 20 सालों के एनडीए सरकार में विकास और बिहार को विकसित बिहार बनाने तथा 15 साल के राजद शासनकाल को जंगलराज बताकर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है, वहीं विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन नीतीश सरकार में किए गए कार्यों में भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साध रही है। 

पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में राजद को मिली सफलता की तरह राजद नेता एक बार फिर सफलता की आस हैं। इस चुनाव में राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। सोशल मीडिया के जरिए वे भले अपनी बातें रख रहे हैं, लेकिन देखा जाए तो पार्टी का पूरा दारोमदार तेजस्वी यादव पर है। 

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महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर उपज रहे विवाद और मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में उनके नाम की घोषणा नहीं किए जाने जैसे मुद्दे सुलझाने में तेजस्वी पस्त नजर आ रहे हैं। इधर, महागठबंधन के सहयोगी दल विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी के उप मुख्यमंत्री पद के दावे ने महागठबंधन के नेतृत्वकर्ताओं को और उलझा दिया है। 

इस बीच, हालांकि राजद नेता और महागठबंधन समन्वय समिति के प्रमुख तेजस्वी यादव बिहार में सत्ता बदलाव को लेकर हर आजमाइश कर रहे हैं। बिहार के लोगों से लगातार वादे कर रहे हैं और अपनी महागठबंधन की सरकार में किए गए कार्यों के जरिए महागठबंधन की सरकार को एनडीए से बेहतर साबित करने की कोशिश में जुटे हैं। इसके अलावा नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र को भी वे जनता के सामने ला रहे हैं।

राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं है कि 17 महीने की महागठबंधन की सरकार में पांच लाख से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी दी गई और जातीय जनगणना का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि बिहार को बेहतर बिहार बनाने के लिए महागठबंधन जरूरी है। 

उल्लेखनीय है कि पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 243 सीटों में से राजद 75 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी, जबकि भाजपा को 74 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। 

Pic Credit : ANI

By Naya India

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