नई दिल्ली। राज्यों की विधानसभा से पारित विधेयकों की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सरकार के बाद अब राष्ट्रपति ने सवाल उठाया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट को एक नोट भेजा है। इसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों के फैसला करने के लिए डेडलाइन तय करने पर सवाल उठाए गए हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने पूछा कि संविधान में इस तरह की कोई व्यवस्था ही नहीं है, तो सुप्रीम कोर्ट कैसे राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए बिलों पर मंजूरी की समय सीमा तय करने का फैसला दे सकता है? राष्ट्रपति मुर्मू ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को यह नोट भेजा। मुर्मू ने राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, न्यायिक दखल और समय सीमा तय करने जैसी बातों पर स्पष्टीकरण मांगा है।
राष्ट्रपति ने कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाए
उन्होंने पूछा है कि क्या अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करके सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल के फैसले को बदल सकता है? उन्होंने पूछा है कि क्या संविधान की व्याख्या से जुड़े मामलों को पांच जजों की बेंच के पास भेजना अनिवार्य होता है? गौरतलब है कि राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए डेडलाइन तय करने का फैसला दो जजों की बेंच ने किया है।
गौरतलब है कि यह मामला तमिलनाडु के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच हुए विवाद से उठा था। वहां राज्यपाल से राज्य सरकार के 10 विधेयक कई महीनों या सालों से रोक कर रखे थे। सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल को आदेश दिया कि राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है। इसी फैसले में कहा था कि राज्यपाल की ओर से भेजे गए बिल पर राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा।
Also Read: देश भर में यात्राओं की धूम
Pic Credit: ANI