nayaindia Collegium Supreme Court Central Government कॉलेजियम में हिस्सा चाहता है केंद्र!

कॉलेजियम में हिस्सा चाहता है केंद्र!

नई दिल्ली। उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति, तबादले और प्रमोशन के काम में केंद्र सरकार भी शामिल होना चाहती है। जजों की नियुक्ति करने वाली कॉलेजियम की व्यवस्था का विरोध करने के बाद केंद्र सरकार अब चाहती है कि कॉलेजियम में उसे भी शामिल किया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिख कर यह सुझाव दिया है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि को शामिल किया जाए और हाई कोर्ट्स की कॉलेजियम में राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को जगह मिले।

गौरतलब है कि पिछले कुछ दिन से कॉलेजियम सिस्टम को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में गतिरोध बना हुआ है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कई बार कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाया और उन्होंने इसे भारतीय संविधान से परे की चीज भी बताया। बाद में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इस पर सवाल उठाया। उन्होंने जजों की नियुक्ति का आयोग बनाने के लिए संसद द्वारा बनाए गए कानून को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया था।

बहरहाल, जानकार सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने का सुझाव दिया है। बताया जा रहा है कि कानून मंत्री के पत्र में कहा गया कि पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के लिए ऐसा करना जरूरी है। हालांकि पिछले दिनों सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर नरमी दिखाई थी और कहा था कि कॉलेजियम की ओर से भेजे गए नामों को सरकार जल्दी मंजूरी देगी।

बताया जा रहा है कि कानून मंत्री की चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रूमा पाल के बयानों का हवाला भी दिया गया है, जिसमें उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे। बहरहाल, यह सरकार का नया कदम है। इससे पहले सरकार कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना कर रही थी और उसे खत्म करने की बात कर रही थी। कानून मंत्री का कहना था कि संविधान में जजों की नियुक्ति की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी गई है, लेकिन 1993 में अपने फैसले के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम का गठन कर लिया। अब सरकार इस कॉलेजियम का हिस्सा बनना चाहती है। बहरहाल, कानून मंत्री की चिट्टी की खबर सामने आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी आलोचना की और कहा कि यह बेहद खतरनाक है। न्यायिक नियुक्तियों में सरकारी हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

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