nayaindia adani group hindenburg report बुलबुले हैं, तो फूटेंगे ही!

बुलबुले हैं, तो फूटेंगे ही!

अब लोग शेयरों में पैसा उम्मीद के आधार पर लगाते हैं। आशंकाएं पैदा होती हैं, तो वे पैसा निकालने लगते हैँ। हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी को की कंपनी पर गंभीर आरोप लगा दिए। इससे विश्वास का संकट खड़ा हुआ और अडानी ग्रुप गहरे संकट में फंस गया है।

अडानी ग्रुप के साथ जो हो रहा है, वित्तीय पूंजीवाद के दौर में वह कोई अजूबा नहीं है। यह हेनरी फोर्ड या जमशेदजी टाटा बल्कि यहां तक कि धीरुभाई अंबानी का दौर भी नहीं है, जब कोई कारोबारी उद्योग लगाकर उसके उत्पादों की बिक्री से होने वाले मुनाफे से धनी होता था। तब शेयरों के भाव का कंपनियों की संपत्ति और मुनाफे से सीधा संबंध रहता था। दरअसल, शेयर बाजारों की स्थापना इसलिए हुई थी, ताकि लोगों के पास मौजूद पूंजी का उत्पादक कार्यों में इस्तेमाल हो सके और उसके परिणामस्वरूप उनकी आमदनी का एक जरिया भी बने। लेकिन गुजरे 50 वर्षों में शेयर बाजार ही आर्थिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनते गए हैँ। अब लोग शेयरों में पैसा धारणा और उम्मीद के आधार पर लगाते हैं और आशंकाएं पैदा होती हैं, तो वे पैसा निकालने लगते हैँ। अडानी ग्रुप के साथ धारणा जुड़ी थी कि इसके पीछे भारत की सरकार का हाथ है, इसलिए इसमें पैसा लगाना फायदे का सौदा है। यह धारणा टूटने का कोई ठोस कारण अभी भी मौजूद नहीं है।

लेकिन इस बीच हिंडनबर्ग रिसर्च ने गौतम अडानी को ठग बताते हुए उनकी कंपनी पर धोखाधड़ी, शेयर बाजार में हेरफेर और फर्जी कंपनियों का सहारा लेने के आरोप लगा दिए। इससे विश्वास का संकट खड़ा हुआ और अडानी ग्रुप का फॉलो-अप पब्लिक ऑफर (एफपीओ) डूबता नजर आने लगा। तब भारत की मौजूद वित्तीय व्यवस्था में स्वार्थ रखने वाले शक्तिशाली लोग इकट्ठे हुए, जिससे एफपीओ को तो बचा लिया गया, लेकिन विश्वास की खाई नहीं भरी जा सकी। इसलिए रिटेल इन्वेस्टर दूर बने रहे। इसी बीच बुधवार को स्विट्जरलैंड के बैंक क्रेडिट सुइस ने अडानी ग्रुप के बॉन्ड्स का मूल्य शून्य करते हुए उसके कॉलेटरल के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया। नतीजतन शेयर बाजार ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई। इसके बाद अडानी ग्रुप को अपना एफपीओ ही रद्दा करना पड़ा। ऐसा पहले भारत की किसी कंपनी के साथ हुआ, यह किसी को याद नहीं है। तो कुल मिलाकर बिना उत्पादक योगदान किए दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनने का अडानी ग्रुप के सपने पर जोरदार प्रहार हुआ है।

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