nayaindia adani group hindenburg report यदि अदानी सच्चे हैं तो अमेरिकी कोर्ट में हिंडनबर्ग पर मुकदमा करें!
सर्वजन पेंशन योजना
हरिशंकर व्यास कॉलम | गपशप | बेबाक विचार| नया इंडिया| adani group hindenburg report यदि अदानी सच्चे हैं तो अमेरिकी कोर्ट में हिंडनबर्ग पर मुकदमा करें!

यदि अदानी सच्चे हैं तो अमेरिकी कोर्ट में हिंडनबर्ग पर मुकदमा करें!

हां, भारत की गरिमा व उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साख दांव पर है तो खुद गौतम अदानी का वैश्विक खरबपति होने का रूतबा भी दांव पर है! सोचें, अमेरिकी वित्तीय रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने भारत के सिस्टम, मोदी सरकार के वक्त में मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार के आरोप उस खरबपति पर लगाए हैं, जिसे दुनिया में नरेंद्र मोदी का कृपापात्र जाना जाता है। इसलिए जब अदानी ग्रुप ने रिपोर्ट को झूठा बताया तथा कहा कि कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत आपराधिक कार्रवाई करेगी तो लगा दुनिया में नंबर दो या तीन या चार (यह फर्क ग्रुप के शेयरों के लुढ़कने से) खरबपति की हेडिंग लिए हुए गौतम अदानी सच्चा उद्दयमी है। सो, मजा आएगा जब अमेरिका की अदालत में भारत का कुबेर अमेरिकी कंपनी को झूठा साबित करेगा।

सचमुच अदानी ग्रुप के फटाफट खंडन और अमेरिकी कोर्ट में कार्रवाई की धमकी से लगा कि गौतम अदानी मर्द सेठ है। उसमें भारतीय अदालतों से देशी आलोचकों का मुंह बंद कराने की हिम्मत और साधन है तो विदेशी आलोचक को अमेरिकी कोर्ट में झूठा साबित करने का दमखम भी लिए हुए है। देखते हैं अब हिंडनबर्ग रिसर्च का क्या जवाब आता है।

इसलिए 24 घंटे के भीतर हिंडनबर्ग रिसर्च का जवाब अपने को अप्रत्याशित लगा और हैरान कर गया है। ऐसा न मैंने कभी सुना और न आजाद भारत के इतिहास में कोई वाकिया है, जिसमें किसी अमेरिकी कंपनी ने भारत के खरबपति को ललकारा हो कि आओ अमेरिकी अदालत में दूध का दूध, पानी का पानी कर देंगे। ध्यान रहे धीरूभाई अंबानी के वक्त रिलायंस ग्रुप में भी कभी अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज, अमेरिकी अदालत में अपने को रजिस्टर करने या अदालत में मुकदमा लड़ने की हिम्मत नहीं हुई। भारत के क्रोनी खरबपति हमेशा पूंजीवाद के मक्का अमेरिका में पुरुषार्थ और पूंजी की अपनी ईमानदारी को साबित करने से भागे रहे हैं।

उस नाते अदानी ग्रुप बनाम हिंडनबर्ग रिसर्च का ताजा प्रकरण भारत के पूंजीवादी इतिहास का ऐतिहासिक मोड़ है। अदानी ग्रुप ने पिछले चार सालों में दुनिया के खरबपति बनने का जो ढोल देश व दुनिया में बनाया और उसके बूते मोदी सरकार जैसे नाचती रही, दुनिया में भारत की आर्थिकी के डंके बजने की जो दास्तां बनाई तो वह सब क्या हिंडनबर्ग रिसर्च से दुनिया के आगे बालू का टीला नहीं हो गया? हिंडनबर्ग रिसर्च से भारत के संदर्भ में, देश की व्यवस्था-पूंजीवाद की ईमानदारी व वैश्विक साख पर कालिख पोतने वाला दस्तावेज तथा रियलिटी का बेसिक सत्य क्या उद्घाटित नहीं है? इसलिए अदानी को क्या हिंडनबर्ग की चुनौती नहीं स्वीकारनी चाहिए? हिंडनबर्ग रिसर्च का सरल भाषा का लब्बोलुआब है कि अदानी व भारत का गुब्बारा फर्जीवाड़े में फूला हुआ है। इस बात को अमेरिकी कंपनी की लंबी-चौड़ी रिपोर्ट की इन तीन-चार लाइनों से समझ सकते हैं- अदानी समूह के संस्थापक और चेयरमैन गौतम अदानी की नेटवर्थ 120 अरब डॉलर है। इसमें से 100 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ। इसकी वजह समूह की सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों का तेजी से बढ़ना है। इन तीन सालों में औसतन 819 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। और ऐसा होना अदानी ग्रुप की ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ से संभव हुआ।

सोचें, इस रिपोर्ट से खरबों रुपए के पैमाने की भारत इकोनॉमी, भारत के आला ग्रुप, दुनिया के दूसरे या तीसरे नंबर के और एशिया के नंबर एक खरबपति की प्रतिष्ठा पर कैसी कालिख पुतती है?

और कोर्ट में देख लेने के अदानी ग्रुप के बयान के बाद अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने पलट कर क्या कहा? उसने गौतम अदानी को क्या चुनौती दी? गौर करें इन वाक्यों पर, ‘आप सीरियस हैं तो यूएस कोर्ट में आइए…हम अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है…पिछले 36 घंटों में अदानी ने एक भी गंभीर मुद्दे पर जवाब नहीं दिया है। हमने रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 सटीक सवाल पूछे थे जो कि हमारे मुताबिक कंपनी को अपने आप को निर्दोष साबित करने का मौका देता है….अभी तक अदानी ने एक का भी जवाब नहीं दिया है। साथ ही जैसा कि हमें उम्मीद थी, अदानी ने धमकी का रास्ता चुना। मीडिया को एक बयान में अदानी ने हमारी 106 पन्नों की, 32 हजार शब्दों की और 720 से ज्यादा उदाहरण के साथ दो सालों में तैयार की गई रिपोर्ट को “बिना रिसर्च का” बताया और कहा है कि वो हमारे खिलाफ़, “दंडात्मक कार्रवाई के लिए अमेरिकी और भारतीय कानूनों के तहत प्रासंगिक प्रावधानों का मूल्यांकन कर रहे हैं.”…जहां तक कंपनी के द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी की बात है, तो हम साफ़ करते हैं, हम उसका स्वागत करेंगे। हम अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह से कायम हैं, और हमारे खिलाफ उठाए गए कानूनी कदम आधारहीन होंगे’।

इतना ही नहीं हिंडनबर्ग रिसर्च ने यह भी कहा कि, ‘अगर अदानी गंभीर हैं तो उन्हें हमारे खिलाफ अमेरिका में केस फाइल करना चाहिए, जहां हमारे दफ़्तर हैं। हमारे पास उन दस्तावेजों की लंबी सूची है, जिनकी मांग हम ‘लीगल डिस्कवरी प्रोसेस’ में करेंगे’।

इसलिए यदि गौतम अदानी ने अमेरिकी अदालत में मुकदमा ठोक हिंडनबर्ग रिसर्च को झूठा साबित नहीं किया और इसकी बजाय वह मौन रहा या भारत की किसी अदालत से कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की तो तय मानें कि अदानी की वैश्विक खरबपतियों के क्लब में वह साख तो कतई नहीं होगी जो हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने से पहले थी। दुनिया की निगाह में तो भारत का सेठ गौतम अदानी अब इतिहास के उस जगत सेठ की तरह है जो अपने सच्चे पुरुषार्थ से नहीं, बल्कि भारत की जनता और बादशाह हुकूमत को उल्लू बना कर अपने को जगत का सेठ करार देता था।

By हरिशंकर व्यास

भारत की हिंदी पत्रकारिता में मौलिक चिंतन, बेबाक-बेधड़क लेखन का इकलौता सशक्त नाम। मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक-बहुप्रयोगी पत्रकार और संपादक। सन् 1977 से अब तक के पत्रकारीय सफर के सर्वाधिक अनुभवी और लगातार लिखने वाले संपादक।  ‘जनसत्ता’ में लेखन के साथ राजनीति की अंतरकथा, खुलासे वाले ‘गपशप’ कॉलम को 1983 में लिखना शुरू किया तो ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ में लगातार कोई चालीस साल से चला आ रहा कॉलम लेखन। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम शुरू किया तो सप्ताह में पांच दिन के सिलसिले में कोई नौ साल चला! प्रोग्राम की लोकप्रियता-तटस्थ प्रतिष्ठा थी जो 2014 में चुनाव प्रचार के प्रारंभ में नरेंद्र मोदी का सर्वप्रथम इंटरव्यू सेंट्रल हॉल प्रोग्राम में था।आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों को बारीकी-बेबाकी से कवर करते हुए हर सरकार के सच्चाई से खुलासे में हरिशंकर व्यास ने नियंताओं-सत्तावानों के इंटरव्यू, विश्लेषण और विचार लेखन के अलावा राष्ट्र, समाज, धर्म, आर्थिकी, यात्रा संस्मरण, कला, फिल्म, संगीत आदि पर जो लिखा है उनके संकलन में कई पुस्तकें जल्द प्रकाश्य।संवाद परिक्रमा फीचर एजेंसी, ‘जनसत्ता’, ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, ‘राजनीति संवाद परिक्रमा’, ‘नया इंडिया’ समाचार पत्र-पत्रिकाओं में नींव से निर्माण में अहम भूमिका व लेखन-संपादन का चालीस साला कर्मयोग। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में नब्बे के दशक की एटीएन, दूरदर्शन चैनलों पर ‘कारोबारनामा’, ढेरों डॉक्यूमेंटरी के बाद इंटरनेट पर हिंदी को स्थापित करने के लिए नब्बे के दशक में भारतीय भाषाओं के बहुभाषी ‘नेटजॉल.काम’ पोर्टल की परिकल्पना और लांच।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 × three =

सर्वजन पेंशन योजना
सर्वजन पेंशन योजना
ट्रेंडिंग खबरें arrow
x
न्यूज़ फ़्लैश
झारखंड के इस ‘जलयोद्धा’ का अद्भुत कारनामा, अकेले दम पर खोद डाला विशाल तालाब
झारखंड के इस ‘जलयोद्धा’ का अद्भुत कारनामा, अकेले दम पर खोद डाला विशाल तालाब