कपड़ा उद्योग के 70 लाख कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। कपड़ा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के मुताबिक ये कारोबार बंद होने के कगार पर है। इस कारण हजारों की संख्या में कर्मचारी निकाले जा रहे हैं।
पाकिस्तान में आर्थिक संकट लगातार गंभीर रूप ले रहा है। चूंकि देश राजनीतिक अस्थिरता के दौर से भी गुजर रहा है, इसलिए इस संकट का कोई समाधान निकलने की उम्मीद पैदा नहीं हो रही है। ताजा खबर यह है कि कपड़ा उद्योग के 70 लाख कर्मचारियों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। कपड़ा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के मुताबिक ये कारोबार बंद होने के कगार पर है। इस कारण हजारों की संख्या में कर्मचारी निकाले जा रहे हैं। पाकिस्तान में कपड़ा उद्योग के कर्मचारियों के मुताबिक कपास की कमी की वजह से कई कारखानों में कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है। पाकिस्तान कपड़ा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। 2021 में यहां का कपड़ा निर्यात करीब 19.3 अरब डॉलर का था। यह देश के कुल निर्यात का करीब आधा हिस्सा था। अब कपास या बिजली की कमी की वजह से पाकिस्तान में ज्यादातर छोटी कपड़ा मिलें बंद हो गई हैं।
बताया गया है कि बिजली की महंगाई और हालिया टैक्स वृद्धि ने इस उद्योग को और तबाह कर दिया है। बीते लगभग एक साल से पाकिस्तान नगदी की तंगी, महंगाई और घटते मुद्रा भंडार के संकट से जूझ रहा है। इसी बीच उसे भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा। उससे माली हालत और बिगड़ गई। विदेशी मुद्रा की कमी के कारण तमाम तरह के उद्योग आवश्यक कच्चा माल नहीं खरीद पा रहे हैं और इस वजह से वे अंतरराष्ट्रीय मांग की आपूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं। भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा ना होने के कारण खाद्य पदार्थों समेत कई तरह आयातित सामानों से लदे हजारों शिपिंग कंटेनर कराची बंदरगाह पर फंसे हुए हैं। इस बीच श्रमिक अशांति शुरू होने के भी संकेत हैं। मजदूर संगठन बड़ी संख्या में मजदूरों को निकाले जाने का विरोध कर रहे हैं और श्रमिकों को बकाया वेतन देने की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान की एकमात्र उम्मीद आईएमएफ से बची है, लेकिन कर्ज की नई किस्त देने के लिए उसने जो शर्तें लगाई हैं, उन्हें पूरा करना पाकिस्तान सरकार के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है।