nayaindia Election Year Feelgood Budget चुनावी साल का फीलगुड बजट

चुनावी साल का फीलगुड बजट

इस साल होने वाले 10 राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल के लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक नजरिए से जैसे बजट की उम्मीद की जा रही थी, बिल्कुल वैसा ही बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया है। बजट भाषण भी वैसा ही था, जिसमें जी-20 की अध्यक्षता मिलने का जिक्र हुआ और भारत के 10वीं से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने के लिए सरकार की पीठ थपथपाई गई। दो लाख करोड़ रुपए की लागत से गरीब कल्याण अन्न योजना एक साल और चलने का भी जिक्र हुआ। कोरोना की महामारी के बाद और लोकसभा चुनाव से पहले का यह आखिरी पूर्ण बजट था इसलिए भी इसके लोक लुभावन या फीलगुड बजट होने का अनुमान था। वह अनुमान बिल्कुल सही साबित हुआ है। सरकार अगले लोकसभा चुनाव तक जम कर खर्च करने वाली है। देश की आर्थिकी का चक्का चलाए रखने के लिए सरकार किसी बाहरी ताकत पर निर्भर नहीं रहेगी। सरकार अपना खर्च बढ़ाएगी और विकास को गति देगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में ऐलान किया है कि सरकार पूंजीगत खर्च में 33 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी। इसका मतलब है कि अगले वित्त वर्ष में सरकार 10 लाख करोड़ रुपया खर्च करेगी। पिछले बजट में सात लाख करोड़ रुपया खर्च किया गया था। हरित ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा खर्च किया जाएगा तो प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट भी बढ़ा कर 79 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। रेलवे के लिए इस बार बजट में दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। कुल मिला कर सरकार ने हर सेक्टर में खर्च बढ़ाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही मध्य वर्ग और नौकरीपेशा लोग पिछले आठ साल से जिस छूट का इंतजार कर रहे थे वह भी दे दिया गया है। आठ साल के बाद आयकर की दरों में बदलाव किया गया है। वित्त मंत्री ने ऐलान किया है कि अब पांच लाख की बजाय सात लाख रुपए की आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। आयकर स्लैब को घटा कर छह की जगह पांच कर दिया गया है और उच्च आय यानी पांच करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा की कमाई करने वालों को भी राहत दी गई है।

वित्त मंत्री ने वैसे तो बजट में सरकार की सात प्राथमिकताएं बताई हैं लेकिन केंद्रीय प्राथमिकता बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में निवेश और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की है। सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर 10 लाख करोड़ रुपया खर्च करेगी। यह आर्थिकी का पहिया चलाने वाला और विकास दर का इंजन बनेगा। वैसे एक दिन पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण में विकास दर साढ़े छह फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया गया है, जो पिछले तीन साल का सबसे कम होगा। पर इस दर को हासिल करने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत थी, जो इस बजट में किया गया है। इसके बाद बड़ा खर्च हरित ऊर्जा के क्षेत्र में होगा। स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिए सरकार 35 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। हाइड्रोजन ईंधन के लिए अलग से 19 हजार सात सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और लद्दाख में हरित ऊर्जा के लिए 20 हजार सात सौ करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है। यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए जरूरी कदम है। साथ ही वित्त मंत्री ने बजट भाषण में सरकार की यह प्रतिबद्धता भी दोहराई कि 2070 तक नेट जीरो यान जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना है।

हालांकि बड़ा सवाल यह है कि सरकार पैसा कहां से लाएगी? इसका जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कर्ज लेगी और छोटी बचत योजनाओं में जो पैसा जमा होगा उसका इस्तेमाल करेगी। असल में अगले वित्त वर्ष में सरकार को कुल 27 लाख करोड़ रुपया अलग अलग टैक्स से प्राप्त होने की उम्मीद है और सरकार का खर्च 45 लाख करोड़ रुपया है। यानी आमदनी के मुकाबले खर्च 18 लाख करोड़ रुपया ज्यादा है। आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया टाइप का मामला है। लेकिन वह तो चालू वित्त वर्ष में भी है। वित्त मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में कर से होने वाली संशोधित अनुमानित आय 24.30 लाख करोड़ है, जबकि संशोधित अनुमानित खर्च 41.90 लाख करोड़ रुपए है। इसका मतलब है कि चालू वित्त वर्ष में भी सरकार को 17 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज लेना पड़ रहा है। पर क्या फर्क पड़ता है? वैसे भी अगले साल चुनाव हैं उसके लिए सरकार इतना तो कर ही सकती है। बहरहाल, चालू खाते का घाटा इस साल जीडीपी का 6.40 फीसदी रहने वाला है और अगले साल इसके घट कर 5.9 फीसदी होने का अनुमान बजट में जताया गया है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार चालू खाते के घाटे को वित्त वर्ष 2025-26 तक साढ़े चार फीसदी तक लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

विकास का पहिया चलाए रखने के लिए सरकारी खर्च के अलावा जो दूसरा तरीका है वह कर्ज का है। तभी वित्त मंत्री ने सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्योगों यानी एमएसएमई से लेकर कृषि सेक्टर तक के लिए कर्ज की सीमा बढ़ाने का ऐलान किया। वित्त मंत्री ने कहा कि एमएसएमई को कर्ज देने के लिए नौ हजार करोड़ रुपए का एक कॉर्पस फंड बनाया जाएगा। इसके अलावा उन्होंने बिना कोलैटरल यानी बिना किसी गारंटी के कर्ज देने के लिए दो लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया। एक अच्छी बात यह रही कि वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना के समय बैंक गारंटी के रूप में या किसी और तरीके से एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों का जो पैसा सरकार के पास अटका है उनका 95 फीसदी लौटा दिया जाएगा। इससे छोटे उद्यमियों के हाथ में पैसा आएगा और कारोबार चलना शुरू हो जाएगा। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भी कारोबारियों के अटके पैसे निकालने के लिए मध्यस्थता का नया सिस्टम बनाने का ऐलान वित्त मंत्री ने किया है।

परोक्ष करों में फेरबदल की वजह से कुछ वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे और कुछ जरूरी चीजों के दाम घटेंगे। लेकिन वह बहुत ज्यादा असर डालने वाला नहीं होगा। अच्छी बात यह है कि इस बार के बजट में सरकार ने कुछ बेचने का ऐलान नहीं किया है। विनिवेश के नए लक्ष्य के बारे में नहीं बताया गया है। ऐसा लग रहा है कि चुनावी साल में सरकार किसी नकारात्मक प्रचार से बचना चाह रही है। आम लोगों के लिए सकारात्मक नजरिए से देखें तो कई और छोटी छोटी चीजें हैं। जैसे वित्त मंत्री ने आजादी के अमृत वर्ष के मौके पर महिलाओं के लिए बचत की एक नई योजना की घोषणा की है। अब महिलाओं के नाम पर दो साल के लिए अधिकतम दो लाख रुपए जमा किए जा सकते हैं, जिन पर साढ़े सात फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलेगा। एक और सकारात्मक बात यह है कि वित्त मंत्री ने सीवर की मैनुअल सफाई को बंद करने का ऐलान किया है और कहा है कि मशीन के जरिए ही इस काम को करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। आदिवासी छात्रों के लिए 15 हजार करोड़ रुपए की योजना का ऐलान हुआ है तो 5जी उत्पाद बनाने के लिए देश भर में एक सौ लैब बनाने की भी घोषणा हुई है। सरकार युवाओं को रोजगार सक्षम बनाने के लिए देश में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर बनाएगी। वित्त मंत्री ने बार बार समावेशी विकास की बात कही और कह सकते हैं कि इस बार बजट में हर वर्ग को खुश करने के लिए कुछ न कुछ किया गया है।

Tags :

By अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें