पुतिन और बाइडेन के संबोधनों से कुछ संकेत पाने के प्रयास में नजर आई। संकेत मिले भी। संकेत यह है कि यूक्रेन युद्ध का समाधान अभी कहीं करीब नहीं है। खतरा बढ़ रहा है।
सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस में अमेरिका की तर्ज पर स्टेट ऑफ द यूनियन संबोधन की शुरुआत की गई थी। लेकिन इस बार राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के संबोधन पर दुनिया का जितना ध्यान केंद्रित हुआ, वैसा शायद पहले ही कभी हुआ हो। इसकी एक बड़ी वजह तो यह है कि ये संबोधन यूक्रेन युद्ध की पहली बरसी से सिर्फ तीन दिन पहले हुआ, लेकिन इसका एक और कारण इस भाषण के एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति की हुई यूक्रेन यात्रा भी रहा। फिर पुतिन के संबोधन के कुछ घंटों बाद ही पोलैंड में बाइडेन का भाषण तय था। तो दुनिया इन दोनों संबोधनों से कुछ संकेत पाने के प्रयास में नजर आई। संकेत मिले भी। संकेत यह है कि यूक्रेन युद्ध का समाधान अभी कहीं करीब नहीं है। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस से घुटने टेकवाने की पुरानी रणनीति पर आगे बढ़ने का इरादा दिखाया है, तो पुतिन ने भी दो टूक कहा है कि वे रूस का मकसद पूरा होने तक लड़ाई जारी रखेंगे।
मॉस्को में रूसी सांसदों और सेना के बड़े अधिकारियों की सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा- “यूक्रेन के लोगों को कीव प्रशासन और उसके पश्चिमी मालिकों का बंधक” बनाया हुआ है। एक तरह से इस देश पर राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक कब्जा कर लिया गया है। इसके साथ ही पुतिन ने अमेरिका के साथ रूस की अब बची एकमात्र परमाणु अस्त्र नियंत्रण संधि में अपने देश की भागीदारी सस्पेंड करने की घोषणा की। इसके दो पहले संधियों से अमेरिका डॉनल्ड ट्रंप के जमाने में हट गया था। तो अब सूरत यह है कि दोनों बड़ी ताकतों के बीच अस्त्र नियंत्रण का कोई समझौता नहीं है। इस स्थिति में एक तीसरा पहलू चीन का है, जिस पर अमेरिका ने आरोप लगाया है कि वह रूस को सैन्य मदद देने की तैयारी में है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेन्स्की कह चुके हैं कि अगर चीन ने ऐसा किया, तो दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ जाएगी। स्पष्टतः हालात लगातार खतरनाक दिशा में जा रहे हैँ।