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08-07-2025 Vol 19

अमेरिका ने बढ़ाई समझौते की सीमा

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नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संधि को लेकर वार्ता जारी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि इसकी उलटी गिनती चल रही है और किसी भी समय इसकी घोषणा हो सकती है। यहां तक बताया गया है कि सात जुलाई की देर रात या आठ जुलाई को इसकी घोषणा हो सकती है। गौरतलब है कि नौ जुलाई को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दी हुई डेडलाइन खत्म हो रही है। लेकिन उससे पहले ट्रंप प्रशासन ने यह सीमा बढ़ाने का ऐलान किया है। अब भारत और दूसरे देशों के पास अमेरिका से समझौता करने के लिए एक अगस्त तक का समय है।

अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने ‘सीएनएन’ के साथ एक इंटरव्यू में कहा है, अगले 72 घंटे हमारे लिए बहुत व्यस्तता के रहने वाले हैं। राष्ट्रपति ट्रंप हमारे कई व्यापारिक साझीदार देशों को चिट्ठी भेजने वाले हैं और अगर ये साझीदार देश अमेरिका के साथ व्यापार संधि नहीं करते हैं तो एक अगस्त को वे वापस दो अप्रैल वाली टैरिफ की स्थिति में पहुंच जाएंगे’। उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए मुझे लगता है कि बहुत जल्दी कई समझौते होने वाले हैं’। बेसेंट ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप एक सौ छोटे देशों को भी चिट्ठी भेजेंगे, हालांकि उन देशों के साथ अमेरिका का ज्यादा कारोबार नहीं है।

अमेरिका के वित्त मंत्री ने जल्दी समझौते का जो संकेत दिया है उसमें भारत भी शामिल है। भारत के साथ जल्दी ही समझौता हो सकता है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने दो अप्रैल को दुनिया के करीब एक सौ देशों पर जैसे को तैसा शुल्क लगाया था। बाद में इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया गया। इसकी डेडलाइन नौ जुलाई 2025 को खत्म हो रही है। अगर समझौता नहीं होता है तो जैसा कि अमेरिका के वित्त सचिव ने कहा है, दो अप्रैल की स्थिति के मुताबिक भारत पर 26 फीसदी शुल्क लग जाएगा।

भारत चाहता है कि ये टैरिफ नहीं लगे लेकिन इसके लिए अमेरिका चाहता है कि भारत उसके कृषि और डेयरी उत्पादों को अपने बाजार में ज्यादा जगह दे। जानकार सूत्रों के मुताबिक भारत की ओर से अमेरिका के पेकान नट्स, ब्लूबेरी और कुछ अन्य कृषि उत्पादों पर शुल्क घटाने की पेशकश की गई है। पशुओं के चारे पर भी भारत कुछ छूट देने को तैयार है और साथ ही, ऑटोमोबाइल और व कुछ औद्योगिक उत्पादों पर भी शुल्क में रियायत दे सकता है।

हालांकि अमेरिका चाहता है कि भारत उसके डेयरी उत्पादों, जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम फसलों खास कर मक्का और सोयाबीन, सेब, बादाम, पिस्ता जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करे। जानकार सूत्रों का कहना है कि भारत मक्का, सोयाबीन या चावल, गेहूं जैसे अमेरिकी जीएम उत्पादों को कम शुल्क पर भारत में बेचने की इजाजत नहीं दे सकता है। इससे भारतीय किसानों के लिए अपने उत्पाद बेच पाना मुश्किल हो जाएगा। इसके बावजूद बताया जा रहा है कि अमेरिका से वार्ता चल रही है और एक मिनी ट्रेड डील की घोषणा जल्दी ही हो सकती है।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

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