नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और अन्य हिस्सों में हुई हिंसा के बाद केंद्रीय बलों की तैनाती के मामले दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए तंज भी किया और कहा कि आजकल न्यायपालिका पर आरोप लग रहे हैं कि वह सरकार के कामकाज में दखल दे रही है। गौरतलब है कि राज्यपालों पर दिए आदेश के बाद उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सहित भाजपा के कई सांसदों और नेताओं ने न्यायपालिका को निशाना बनाया।
मुर्शिदाबाद मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश जारी करने से इनकार
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने और अरर्धसैनिक बलों की तैनात करने की याचिका पर सुनवाई की लेकिन कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने अपील की थी कि वक्फ कानून के विरोध में हुई मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कोर्ट इस पर फैसला करे। इस पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कोई आदेश नहीं दिया।
सुनवाई के दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति को इसे लागू करने का आदेश भेजें? हम पर दूसरों के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी के आरोप लग रहे हैं’। गौरतलब है कि जस्टिस गवई अगले महीने चीफ जस्टिस बनने वाले हैं। इससे पहले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को कहा था कि कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। वहीं, उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं।
दूसरी ओर, जस्टिस सूर्यकांत की बेंच में मुर्शिदाबाद हिंसा से जुड़ी दूसरी याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें वकील ने मुर्शिदाबाद हिंसा के चलते लोगों के पलायन की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने वकील से सवाल किया कि आपकी इस सूचना का सूत्र क्या है, क्या आपने खुद जांच की थी। इस पर वकील ने जवाब दिया, ‘मीडिया रिपोर्ट्स’। ध्यान रहे कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती जारी रखने पर 17 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस राजा बसु चौधरी की बेंच नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
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