नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को मिले चंदे का नया ब्योरा चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है। आयोग ने अप्रैल 2019 से पहले राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे का ब्योरा सार्वजनिक किया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने चुनाव आयोग को 12 अप्रैल 2019 से लेकर जनवरी 2024 तक के चुनावी बॉन्ड का ब्योरा दिया था, जिसे आयोग ने 14 मार्च को सार्वजनिक किया था। अब 12 अप्रैल 2019 से पहले का ब्योरा सामने आया है। electoral bonds supreme court
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गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल 2019 को एक अंतरिम आदेश में सभी राजनीतिक दलों से कहा था कि वे चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपें। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन करते हुए पार्टियों ने चुनाव आयोग को सीलबंद लिफाफे में इस अवधि का ब्योरा सौंप दिया था। चुनाव आयोग ने रविवार को एक बयान जारी करके बताया है कि उसने पार्टियों की ओर से दिया गया ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया था। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्टरी ने इसकी डिजिटल कॉपी अपने पास रखी और हार्डकॉपी वापस कर दी। उसी कॉपी को चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर अपलोड किया है। इसमें 2017 में चुनावी चंदे का कानून बनने के बाद से लेकर 12 अप्रैल 2019 तक का ब्योरा है। electoral bonds supreme court
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने 12 मार्च को चुनावी बॉन्ड का ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपा था। चुनाव आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से मिला पहला ब्योरा गुरुवार यानी 14 मार्च को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था। चुनाव आयोग की वेबसाइट में 763 पन्नों की दो सूची डाली गई थी। पहली सूची में चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों का ब्योरा था और दूसरी सूची में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड का ब्योरा था।
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अब जो ताजा ब्योरा वेबसाइट पर डाला गया है उससे चुनावी बॉन्ड का कानून बनने के बाद से लेकर अभी तक का पूरा ब्योरा सामने आ गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में यह कानून बनने के बाद से चुनावी बॉन्ड के जरिए भारतीय जनता पार्टी को कुल सात हजार करोड़ रुपए के करीब चंदा मिला है। भाजपा को बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा वित्त वर्ष 2019-20 में मिला। उसे इस अवधि में ढाई हजार करोड़ रुपए के करीब चंदा मिला। इसका मतलब है कि 2019 में लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा मिला।
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बताया जा रहा है कि 2021 से तमिलनाडु में सरकार चला रही डीएमके को चुनावी बॉन्ड से 656.5 करोड़ रुपए मिले, जिसमें अकेले लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन के फ्यूचर गेमिंग से 509 करोड़ रुपए मिले हैं। इस बीच तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ पार्टियों ने भारतीय स्टेट बैंक से चुनावी बॉन्ड्स के यूनिक कोड मांगे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा है कि उसे कोड चाहिए ताकि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कर सके। गौरतलब है कि स्टेट बैंक ने बॉन्ड का यूनिक कोड नहीं दिया है। इस कोड से ही पता चलेगा कि किस कारोबारी घराने द्वारा खरीदा गया बॉन्ड किस पार्टी ने भुनाया है। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश के मुताबिक भाजपा ने अपने चंदे का पूरा ब्योरा दे दिया है, जबकि बसपा और सीपीएम ने कहा है कि उन्हें चुनावी बॉन्ड से कोई चंदा नहीं मिला है।