मुंबई। महाराष्ट्र में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने का फैसला रद्द होने के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने अपनी साझा रैली को विजय उत्सव में बदलने का ऐलान किया है। हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का विरोध करने के लिए ठाकरे बंधुओं ने पांच जुलाई को साझा रैली करने की घोषणा की थी। उससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस फैसले को रद्द करने का ऐलान कर दिया। साथ ही इस पर विचार के लिए एक कमेटी का गठन भी कर दिया।
मुख्यमंत्री की इस घोषणा के एक दिन बाद सोमवार को उद्धव ठाकरे ने दावा किया कि विपक्षी पार्टियों के विरोध की वजह से सरकार ने हिंदी को अनिवार्य करने का फैसला वापस लिया है। ठाकरे ने दावा किया कि अगर सरकार फैसला वापस नहीं लेती तो भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिव सेना और एनसीपी के मराठी समर्थक भी उनके विरोध मार्च में शामिल होते। उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘मराठी एकता ने मराठी विरोधियों के सिर फोड़ दिए। वे फिर से सिर ने उठाएं इसलिए हमें एकता बनाए रखनी चाहिए। अब पांच जुलाई को विरोध मोर्चा की जगह विजय उत्सव होगा’।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने रविवार को तीन भाषा नीति से जुड़े 16 और 17 अप्रैल के आदेश रद्द कर दिए थे। 16 अप्रैल के आदेश में अंग्रेजी और मराठी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी क्लास तक हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाया गया था। विरोध के बाद अगले ही दिन आदेश में बदलाव करके हिंदी को वैकल्पिक बनाया गया था। इसके विरोध को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और दोनों उप मुख्यमंत्रियों, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें मुख्यमंत्री ने कहा, ‘तीन भाषा नीति को लेकर शिक्षाविद नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। इसके रिपोर्ट के बाद ही हिंदी की भूमिका पर अंतिम फैसला लिया जाएगा’।