कुणाल कामरा के एक स्टैंडअप कॉमेडी एक्ट को लेकर जो तूफान उठा था अभी उसकी गर्द उड़ ही रही है। पहले सोचा था कि इसका गर्दो गुबार बैठ जाए तब इस पर लिखा जाए। परंतु निकट भविष्य में उसकी संभावना नहीं दिख रही है। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को खुश करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस ने कमर कसी हुई है। उसने तय किया है कि हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट कुछ भी कहें कुणाल कामरा को एक बार तो गिरफ्तार करना है ही और मजा चखाना ही है। तभी एक के बाद एक नए मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं और नए समन जारी हो रहे हैं।
उन जगहों पर पुलिस दबिश दे रही है, जहां कामरा 10 साल से नहीं रहते हैं। पुलिस का जोर कामरा पर नहीं चला तो उन तमाम दर्शकों को नोटिस भेज कर बुलाया गया, जो उनके शो में मौजूद थे। इसके बाद से यह मजाक चल रहा है कि दर्शकों के बाद उन लोगों की बारी है, जिन्होंने यूट्यूब पर कामरा के इस वीडियो को देखा है।
समूचा विवाद इस बात का है कि कुणाल कामरा ने एकनाथ शिंदे को ‘गद्दार’ कहा। हालांकि उन्होंने शिंदे का नाम नहीं लिया है लेकिन ‘ठाणे की रिक्शा’, ‘चेहरे पे दाढ़ी’, ‘आंख पे चश्मा’, ‘गुवाहाटी में छिपना’ आदि से पर्याप्त इशारा है कि वे किसकी बात कर रहे हैं। यह एक तथ्य है कि शिंदे ने शिव सेना तोड़ी, अपनी अलग पार्टी बनाई, जिसे बाद में चुनाव आयोग ने असली शिव सेना कहा। वे दशकों तक जिस पार्टी और परिवार के प्रति निष्ठावान बने रहे उससे अलग हुए। कह सकते हैं कि विचारधारा का मतभेद था। इसके बावजूद ऐसे कदमों को राजनीति में दलबदल करना, नेता की पीठ में छुरा भोंकना, धोखा देना, गद्दारी करना आदि ही कहा जाता है।
उद्धव ठाकरे की पार्टी के अलावा दूसरी पार्टियों के नेताओं ने भी शिंदे के बारे में ऐसी बातें कही हुई हैं। लेकिन शिंदे समर्थक उनसे नाराज नहीं हुए। उनकी नाराजगी भड़की है कुणाल कामरा पर। कामरा पर नाराजगी क्या इस वजह से भड़की है कि वे कोई नेता नहीं हैं, उनके पास कोई पार्टी नहीं है या कोई सुरक्षा कवच नहीं है या कोई और कारण है?
बहरहाल, कुणाल कामरा के स्टैंडअप एक्ट में वह बात सबसे गंभीर या अहम नहीं है, जिस पर सबसे ज्यादा विवाद है यानी शिंदे का मामला सबसे गंभीर नहीं है। उन्होंने 45 मिनट के अपने प्रोग्राम में कई दूसरे गंभीर विषय उठाए हैं और उन पर तीखा व्यंग्य किया है। उन्होंने भारतीय समाज की हिप्पोक्रेसी, देश के उद्योगपतियों के लालच, करोड़पतियों के दिखावे और धन के अश्लील प्रदर्शन पर गहरा व्यंग्य किया है।
परंतु किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। ऐसा लग रहा है कि अपने कॉमिक एक्ट से कामरा ने जो गंभीर सवाल उठाए उनको दबाने या छिपाने के लिए एकनाथ शिंदे के मुद्दे पर फोकस बनवा दिया गया हो। कामरा के एक्ट को लेकर जो प्रहसन चल रहा है उसको देख कर अजय देवगन की ‘सिंघम’ फिल्म का एक दृश्य याद आता है, जिसमें हीरो ने विलेन को ‘मामूली गुंडा’ कहा।
विलेन ने इस पर भड़कते हुए कहा, ‘मामूली किसको बोला’? सोचें, उसे गुंडा कहे जाने से तकलीफ नहीं थी, मामूली कहे जाने से थी। वही हाल कामरा की कॉमेडी की है। मामूली बातों पर भावनाएं आहत हुई हैं और गंभीर बातों पर चुप्पी है या उसका मौन स्वीकार है।
कामरा ने देश के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में धन के अश्लील प्रदर्शन का मुद्दा उठाया। मुख्यधारा के किसी आदमी की इस पर बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। लेकिन कामरा ने यह कहते हुए सवाल उठाया कि ‘अंबानी सटल (Subtle) है ही नहीं’। उन्होंने एक रूपक के जरिए अपनी बात समझाई कि अंबानी ने दुनिया भर के गायकों, नर्तकों, अभिनेताओं को बुला लिया और सबको सामने बैठा कर कहा कि ‘तुम बैठो हम नाचेंगे’।
रिलायंस समूह यही तो कारोबार में भी कर रहा है। उसकी किसी काम में विशेषज्ञता नहीं है लेकिन उसे सारे काम करने हैं। हर चीज खरीदनी है और हर चीज बेचनी है। कामरा ने बहुत बारीक तरीके अंबानी के निजी चिड़ियाघर का भी मजाक उड़ाया। लेकिन इस पर कोई चर्चा नहीं हुआ।
कामरा के उस एक्ट की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने देश के तमाम उद्योगपतियों और कारोबारियों की पोल खोल दी। उन्होंने कहा कि इस देश के किसी उद्योगपति ने कोई इनोवेशन नहीं किया है। एक चीज नहीं बनाई है। यह कितनी बड़ी सचाई है कि भारत में जिसके पास 12 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है वह भी सौ, दो सौ करोड़ रुपए रिसर्च पर या इनोवेशन पर खर्च नहीं करता है। वह इस इंतजार में रहता है कि दुनिया के दूसरे देशों के उद्यमी रिसर्च करें, इनोवेशन करें, नई चीजें बनाएं और बेचने के लिए उसको दे दें। अभी हाल ही में अंबानी और मित्तल दोनों इलॉन मस्क के वेंडर बने हैं।
मस्क ने अपने साहस, रिसर्च, इनोवेशन से धरती की कक्षा में सात हजार सेटेलाइट भेजे और उनसे इंटरनेट की सेवा शुरू की। भारत में अंबानी और मित्तल यह सेवा बचेंगें। इस कमाई का पैसा मस्क के पास अमेरिका जाएगा और अंबानी व मित्तल को कमीशन मिलेगा। सोचें, 12 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति वाला भी अमेरिका के एक कारोबारी का कमीशन एजेंट है। कामरा ने इस हकीकत को अपने एक्ट से जाहिर किया।
कुणाल कामरा ने संत जैसे आचरण करने वाले आनंद महिंद्रा और सुधा मूर्ति पर भी तंज किया। उन्होंने कहा कि आनंद महिंदा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लेकर हर चीज पर सोशल मीडिया पोस्ट लिखते हैं लेकिन अपनी गाड़ी की क्वालिटी ठीक नहीं करते हैं। वे उन तमाम बातों में घुसे रहते हैं, जिनसे उनका कोई मतलब नहीं है। ऐसे ही सुधा मूर्ति के ‘मैं सिंपल हूं’ के प्रचार पर भी उन्होंने गहरा तंज किया। उन्होंने कहा कि खुद को सिंपल बताते बताते वे राज्यसभा चली गईं। असल में उनका सिंपल होने का प्रचार एक ब्रांडिंग कैम्पेन से ज्यादा कुछ नहीं है।
ओला स्कूटर वाले के साथ उनका पहले से पंगा चल रहा है लेकिन अपने इस एक्ट में उन्होंने ओला स्कूटर की गुणवत्ता और ग्राहकों के साथ उसके व्यवहार को लेकर सवाल उठाया और साथ ही ग्राहकों की हितों की रक्षा करने या उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बनी एजेंसियों के निकम्मेपन या कमजोरी पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जिन एजेंसियों को ग्राहकों के हितों की रक्षा करनी है वे ओला वाले के यहां जाते हैं तो वह मोदीजी के साथ अपनी तस्वीर उनको दिखा देता है और वे लौट आते हैं। यह देश की मौजूदा क्रोनी कैपिटलिज्म की व्यवस्था बड़ा प्रहार है।
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कामरा के समूचे एक्ट में सबसे गहरा व्यंग्य भारत में महिलाओं की स्थिति पर है। भारत में पहले भी महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं रही है लेकिन पिछले कुछ बरसों में व्यवस्थित तरीके से महिलाओं की स्वतंत्रता को कमतर करने की कोशिशें हो रही हैं। उनकी खुदमुख्तारी को बदचलनी ठहराने के सारे प्रयास हो रहे हैं। पिछले दिनों एक महिला ने एक दोस्त के साथ मिल कर अपने पति की हत्या कर दी और शव नीले रंग के ड्रम में डाल दिया।
इस एक घटना के आधार पर सभी महिलाओं को राक्षसी साबित करने का अभियान चल रहा है। नीले ड्रम को लेकर मीम्स बन रहे हैं। खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश में नीला ड्रम खरीदने वाले से दुकानदार आधार कार्ड मांग रहे हैं।
सोचें, अखबार भरे होते हैं इन खबरों से कि पति ने पत्नी की हत्या कर दी, बाप ने बेटी को मार डाला, भाई ने बहन की ऑनर किलिंग कर दी, दोस्त ने गर्लफ्रेंड की हत्या कर दी, महिला के साथ बलात्कार के बाद शव पेड़ से टांग दिया गया, फिर भी पुरुष समाज को राक्षस बनाने का अभियान नहीं चलता है। परंतु एक शुभम ने पत्नी से पीड़ित होकर खुदकुशी कर ली तो अभियान चल पड़ा कि मेन्स राइट्स को बचाने की जरुरत है।
कुणाल कामरा के एक्ट में इस मेल इमोशंस को लेकर तंज का जो हिस्सा है वह अद्भुत है। यह भारतीय समाज के दोगलेपन को जाहिर करता है। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि भारतीय पुरुषों ने महिलाओं की मदद करने के बारे में कभी सोचा ही नहीं। एक मिक्सी तक नहीं बनाई। वह भी जापान से बन कर आई।
सोचें, एक देश के तौर पर और एक समाज के तौर पर भारत की जितनी विद्रूपताएं हैं, कुणाल कामरा ने एक एक करके उनकी सारी परतें खोल दी हैं। उन्होंने बताया है कि इस देश का आदमी कितना लिजलिजा है कि अगर बाबर भी 50 गज का प्लॉट दे दे तो उसके यहां शादी का प्रस्ताव लेकर पहुंच जाए। कामरा ने बताया कि सबसे अमीर कारोबारी धन का अश्लील प्रदर्शन करता है और कानून को ठेंगे पर रखता है, क्रोनी कैपिटलिस्ट सत्ता के संरक्षण का फायदा उठा कर ग्राहकों का शोषण कर रहे हैं.
सिंपल होने की ब्रांडिंग करके एक उद्योगपति की पत्नी राज्यसभा पहुंच जा रही है, महिलाओं की आजादी से घबराए पुरुष मेन्स राइट्स का आंदोलन चला रहे हैं, देश के उद्योगपति इनोवेशन करने की बजाय विदेशी उद्यमियों के कमीशन एजेंट बन रहे हैं और देश विश्वगुरू बन रहा है। इन बातों से किसी की भावना आहत नहीं हुई है।
Pic Credit: ANI