nayaindia Mandla Lok Sabha seat मंडला की मुश्किलों को मोदी मंत्र का सहारा

मंडला की मुश्किलों को मोदी मंत्र का सहारा

BJP Sixth List

भोपाल। प्रदेश की कुछ ही सीटें हैं जहां कांग्रेस जीत की उम्मीद में लड़ रही है पहले चरण की 6 सीटों पर आदिवासी मतदाताओं की संख्या निर्णायक भूमिका में है उसमें मंडला लोकसभा में सर्वाधिक 57% की आबादी आदिवासी वर्ग की है दोनों ही दोनों के आदिवासी उम्मीदवार आदिवासी मतदाताओं को बांटने में जुटे हैं लेकिन अन्य वर्ग के मतदाताओं को भाजपा मोदी का मंत्र फूंक रही है जिसके चलते ही मंडला की मुश्किलें दूर हो सकती है।

दरअसल एक समय मंडला लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही है लेकिन अब यह सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है केंद्रीय मंत्री और पार्टी के प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते मंडल सीट से 1996 1998 1999 2004 2014 और 2019 में चुनाव जीत चुके हैं केवल 2009 में कांग्रेस के बसोरी सिंह मसराम से पराजित हुए थे और अभी हाल ही में 2023 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हर का सामना करना पड़ा और विधानसभा की इसी हार का मनोवैज्ञानिक दबाव कांग्रेस बना रही है प्रथम चरण की जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है उनमें मंडला सीट भी ऐसी सीट है जहां आदिवासियों की संख्या भी 57% से ज्यादा है मंडला डिंडोरी सिवनी और नरसिंहपुर जिले की विधानसभाओं को मिलाकर बनी लोकसभा सीट में इस समय आठ विधानसभा सीटों में से 5 सीटें कांग्रेस के पास है

मंडला जिले की तीन विधानसभा सीटों में से बिछिया और निवास विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है जबकि मंडला विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है डिंडोरी जिले की शाहपुरा विधानसभा सीट भाजपा के पास है और डिंडोरी विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है और यही से चुने गए कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में फग्गन सिंह कुलस्ते को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

कांग्रेस जहां स्थानीय मुद्दों को उठा रही है वहीं भाजपा मोदी के मंत्र फूंक रही है सात बार के सांसद केंद्रीय मंत्री फगन सिंह कुलस्ते का पूरा परिवार चुनावी मैदान में सक्रिय है भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का का मंडला दौरा पार्टी के लिए उत्साह वर्धक रहा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने प्रत्याशी भगत सिंह कॉलेज के साथ चारों जिलों के जिला अध्यक्षों की बैठक की जिसमें तालमेल के साथ चुनाव अभियान को कैसे आगे बढ़ाया जाए महत्वपूर्ण परामर्श दिया और उसके बाद चारों जिलों का संगठन मोदी की गारंटी की योजनाओं को लेकर गांव गांव में कुलस्ते को जिताने के लिए जमावट कर रहा है

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी मरकाम सिंह परिवार के सदस्यों और समर्थकों के साथ मोदी फैक्टर से मुकाबला कर रहे हैं आदिवासी वोट दोनों ही प्रत्याशी अपनी तरफ करने में जुटे हैं भाजपा संगठन जहां अन्य वर्गों को मोदी के नाम पर साधने का काम कर रही है कोई कांग्रेस प्रत्याशी आदिवासियों के अलावा दलित और पिछड़ा वर्ग के वोटो को जुगाड़ने में लगी है।

कुल मिलाकर मंडला लोकसभा सीट पर 1977 में भारतीय लोक दल के श्यामलाल धुर्वे चुनाव जीते थे इसके अलावा 1952 1957 1962 1967 1971 1980 1984 1985 1989 1991 और 2009 में कांग्रेस ने यह सीट जीती 1996 में भाजपा ने फग्गन सिंह कुलस्ते को मंडला लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा और छह बार लोकसभा का चुनाव जीतकर फग्गन सिंह कुलस्ते न केवल प्रदेश के बल्कि देश के एक जाने पहचाने आदिवासी चेहरे के रूप में पहचाने जाने लगे वही मंडला को भाजपा का गढ़ बनाने में भी सफल हुए लेकिन 2023 की विधानसभा चुनाव की हार से एक बार फिर प्रदेश की बजाय केंद्र की राजनीति में जाने की स्थिति बन गई अन्यथा जब-जब प्रदेश में संगठन और सत्ता में परिवर्तन की सुगबुगाहट होती थी फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम सुर्खियों में रहता था।

इस बार फग्गन सिंह कुलस्ते की दिल्ली की राह 2019 की तरह आसान नहीं है उनकी मुश्किलों को दूर करने के लिए भाजपा संगठन मोदी की गारंटी के नाम पर गांव गांव में वोट मांग रहा है कांग्रेस प्रत्याशी ओंकार सिंह मरकाम जिस तरह से मुश्किलें बना रहे हैं उसमें फग्गन सिंह कुलस्ते को मोदी मंत्र का ही सहारा संबल प्रदान कर रहा है।

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