nayaindia Lok Sabha Election 2024 मोदी की सुनामी या कांटे का मुकाबला?

मोदी की सुनामी या कांटे का मुकाबला?

Lok Sabha Election 2024
Lok Sabha Election 2024

18वीं लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ‘चार जून, चार सौ सीट’ का जुमला बोल रहे हैं। लोग (खास कर उत्तर भारत के) अबकी बार मोदी के चार सौ पार के विश्वास में हैं। मतलब यह कि चुनाव में मोदी की आंधी नहीं, बल्कि मोदी की सुनामी है और राजीव गांधी की जीती 414 सीट का रिकार्ड एनडीए तोड़ेगा। लोग कहते हैं ऐसा होगा क्योंकि मोदी और ईवीएम है तो सब संभव है। पर मैं ऐसा नहीं मानता। न नरेंद्र मोदी में क्षमता है और न इतने बडे लेवल पर ईवीएम से फ्रॉड मुमकिन है। Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें: ममता, माया बुरी तरह हारेंगी!

मेरा मानना है चुनाव में मुकाबला कांटे का है सो, सुनामी का सवाल नहीं है, आंधी भी हो तो नरेंद्र मोदी की तीसरे टर्म की उपलब्धि होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि 543 सीटों का सियासी भूगोल, आबादी के अलग-अलग वर्गों तथा भाषा-बुद्धि-सियासी विरासत, वैचारिक समझ में लोगोंमें बुद्धि का लेवल अलग-अलग है। गोबर पट्टी का अपना कैरेक्टर है तो विंध्य पार के राज्यों का अलग क्लासिक मिजाज है। Lok Sabha Election 2024

इसलिए मेरा हिसाब है कि 80 में 75 (यूपी), 48 में से 25 (महाराष्ट्र), 42 में से 36 (प. बंगाल), 28 में से 28 (कर्नाटक), 40 में से 40 सीट (बिहार) जैसे एक्सट्रीम एकतरफा सुनामी अनुमान लगाएं तब भी 400 पार सीट नहीं है। तब भी आंकड़ा 398 सीटों का बनता है। जबकि ‘इंडिया’ व अन्य दलों(गैर एनडीए) के 2014 व 2019 के आंकड़ों, व जमीनी हकीकत में न्यूनतम हिसाब ही कोई 249 सीटों का बनताहै।  का आंकड़ा है। इसलिए मोदी का यह जुमला भी तमाम दूसरे जुमलों जैसी हवाबाजी होगी। Lok Sabha Election 2024

यह भी पढ़ें: भाजपा की नई जमीन कहां है?

नीचे राज्यवार सूची में मोदी-शाह-भाजपा के ख्यालों का सुनामी अनुमान है तो इंडिया गठबंधन व गैर-एनडीए पार्टियों की कंजूसीपूर्ण अनुमान 249 सीटों का है। यह ध्यान 2019 में एनडीए को कुल सीटे 351 मिली थी। इसलिए एनडीए छोड़ गए शिवसेना आदि की मौजूदा ताकत करीब 338 होती है। इसलिए मोदी सुनामी के 398 बनाम इंडिया एलांयस व अन्य दलों की अनुमानित 249 की तुलना में इस लिस्ट से राज्यवार अपने-अपने अनुमान लगाए।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें