विपक्ष ने इसका नैरेटिव बनाया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष से डर गए थे और इसलिए उन्होंने अपनी सीट से विधेयक पेश नहीं किया। साथ ही यह भी चर्चा कराई जा रही है कि अमित शाह का खौफ अब खत्म हो गया है। असल में मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को गिरफ्तारी और 30 दिन की हिरासत पर पद से हटाने के लिए लाए गए संविधान संशोधन विधेयक को अमित शाह ने अगली पंक्ति की अपनी सीट से नहीं पेश किया, बल्कि वे चौथी कतार में खड़े हुए और वहां से बिल पेश किया। इसे लेकर तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि अमित शाह डर के कारण अपनी सीट से बिल नहीं पेश किए और अपनी पार्टी के सांसदों के बीच खड़े होकर बिल पेश किया। ध्यान रहे इस बिल के खिलाफ सदन में सबसे ज्यादा हंगामा तृणमूल कांग्रेस ने किया और उसके बाद समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर थी।
समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सोशल मीडिया में धर्मेंद्र यादव को हीरो बनाया हुआ है। असल में धर्मेंद्र यादव ने इस बिल को पेश किए जाते समय कुछ तीखी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि अमित शाह नैतिकता की बात करते हैं, लेकिन जिन अजित पवार को जेल भेजने चक्की पीसिंग की बात करते थे उनको उप मुख्यमंत्री बनाया हुआ है। सपा के नेता और सोशल मीडिया का इकोसिस्टम इस पर वाहवाह कर रहा है। कहा जा रहा धर्मेंद्र यादव ने शाह के मुंह पर जवाब दिया। विपक्ष की ओर से बिल की प्रति को फाड़ा गया और उसके कागज के गोले बना कर गृह मंत्री की ओर उछाले गए। कागज के कई गोले उनके बिल्कुल सामने गिरे। इस आधार पर कहा जा रहा है कि जो अमित शाह पहले विपक्ष को डराते थे, उनको विपक्ष ने डरा दिया। उनका खौफ विपक्ष के दिल से निकल गया है। यह भी कहा जा रहा है कि सरकार बैकफुट पर है और विपक्ष हावी है।