इन अटकलों का कोई मतलब नहीं है कि बिहार में विधानसभा चुनाव टल सकता है। विपक्षी पार्टियों के कई नेता और सोशल मीडिया में उनका इकोसिस्टम इसका प्रचार कर रहा है कि चुनाव आयोग की ओर से जारी मसौदा मतदाता सूची की कमियां एक एक करके बाहर आ रही हैं और अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 65 लाख नामों वाली सूची भी जारी हो गई है, जिनके नाम काटे गए थे। इसमें से और भी कमियां निकलेंगी। कहा जा रहा है कि इसके बाद चुनाव आयोग सबको ठीक करके अंतिम सूची समय पर नहीं प्रकाशित कर पाएगा और इस वजह से चुनाव टालना पड़ेगा। गौरतलब है कि अभी तक चुनाव आयोग अपने कैलेंडर के हिसाब से काम कर रहा है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का पहला चऱण 25 जुलाई को पूरा हुआ और एक अगस्त को मसौदा मतदाता सूची जारी हो गई। अब दूसरा चरण चल रहा है, जो 31 अगस्त को पूरा होगा और एक महीने बाद यानी 30 सितंबर को अंतिम सूची जारी हो जाएगी।
उसके बाद किसी भी समय चुनाव आयोग बिहार में चुनाव की तारीखों की घोषणा कर सकता है। बताया जा रहा है कि दो या तीन चरण में मतदान होगा और अक्टूबर के अंत में छठ है उसके बाद नवंबर के पहले 10 दिन में मतदान समाप्त हो जाएगा। हां, अगर चुनाव टलता है तो वह किसी मजबूरी में नहीं टलेगा, बल्कि भाजपा की योजना के तहत टलेगा। कई लोग यह साजिश थ्योरी भी बता रहे हैं कि भाजपा को नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना है। इसलिए चुनाव आयोग के बहाने ही चुनाव टल सकता है और बिहार में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। ऐसे में भाजपा अपना चेहरा प्रोजेक्ट करके कुछ दिन काम कराएगी और उसके बाद चुनाव में जाएगी। हालांकि यह दूर की कौड़ी है क्योंकि बगैर नीतीश कुमार के एनडीए की नाव नहीं पार लगने वाली है। इसलिए बिहार में चुनाव टलने की कोई संभावना नहीं है। समय पर चुनाव होगा और एनडीए नीतीश कुमार के चेहरे पर ही लड़ेगा।