असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष और जोरहाट के सांसद गौरव गोगोई पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि गोगोई की ब्रिटिश मूल की पत्नी ने पाकिस्तान में काम किया है और वहां से उनको वेतन मिला है। उन्होंने यह भी कहा है कि गौरव गोगई के भी पाकिस्तान से तार जुड़े हैं।
वे गौरव गोगोई और उनकी पत्नी दोनों को पाकिस्तान का एजेंट बता रहे हैं। उनके आरोपों को गौरव गोगोई ने सी ग्रेड हिंदी फिल्म की स्क्रिप्ट बताया है और कहा कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को अपने आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पेश करने चाहिए।
सबूत होने पर देरी पर बड़े सवाल उठे
इसके जवाब मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे सितंबर में सबूत पेश करेंगे। सवाल है कि क्या उनके पास सबूत नहीं हैं? अगर सबूत नहीं हैं तो वे किस आधार पर आरोप लगा रहे हैं? और अगर सबूत हैं तो वे उसे सितंबर में क्यों पेश करेंगे? अगर उनके पास इस बात के सबूत हैं कि कांग्रेस के एक बड़े नेता, जो सांसद हैं, लोकसभा में पार्टी के उपनेता हैं और प्रदेश अध्यक्ष हैं वे पाकिस्तान के एजेंट हैं तो उसे वे छिपा कर कैसे रख सकते हैं?
यह तो राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और उनको तुरंत सबूत पेश करने चाहिए, एनआईए और रॉ से इसकी जांच करानी चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन वे कह रहे हैं कि सितंबर में सबूत पेश करेंगे। यानी अगले साल मई में होने वाला चुनाव थोड़ा और नजदीक आ जाए तो सबूत पेश करेंगे ताकि उसका चुनावी मुद्दा बना सकें! तब सवाल है कि क्या भाजपा के लिए इतना बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा एक चुनावी मुद्दा भर है? इतने बड़े मुद्दे का इस्तेमाल उसे सिर्फ चुनाव जीतने के लिए करना है?
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