बिहार में भारतीय जनता पार्टी के अंदर बड़ा घमासान छिड़ा है। ऐसा लग रहा है कि सारे नेता चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री पद की अपनी दावेदारी पुख्ता करने में लगे हैं और इसके लिए वे अपने संभावित प्रतिद्वंद्वी को निपटा रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को खुलासा करने के लिए न तो इतनी सामग्री मिलती और न इतनी सुविधा मिलती। वे एक एक करके भाजपा के प्रदेश नेताओं के बारे में सच्चे झूठे खुलासे कर रहे हैं। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के मेडिकल कॉलेज की कथित पोल खोली और फिर मंगल पांडेय के विभाग की गड़बड़ियों का मुद्दा बनाया। वे दावा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में वे दूसरे कई नेताओं की पोल खोलेंगे।
सबसे हैरानी की बात है कि जब उन्होंने दिलीप जायसवाल पर हमला किया तो पार्टी उनके समर्थन में नहीं आए। जायसवाल को अपना बचाव खुद करना पड़ा और यही काम मंगल पांडेय को भी करना पड़ा है। ऐसा नहीं हो रहा है कि पार्टी के नेता एकजुट होकर प्रशांत किशोर पर हमला करें और अपने नेताओं का बचाव करें। तभी यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के अंदर से ही नेताओं के बारे में सच्ची झूठी बातें प्लांट की जा रही हैं और प्रशांत किशोर को दस्तावेज मुहैया कराए जा रहे हैं। पार्टी के एक दो बड़े नेताओं के नाम भी लिए जा रहे हैं। उन नेताओं की अपनी भारी पोल है लेकिन अगर अगले कुछ दिन में पीके उनकी पोल नहीं खोलते हैं तो लोगों का संदेह यकीन में बदल जाएगा। बहरहाल, इस अंदरूनी घमासान का चुनाव में भी भाजपा को बड़ा नुकसान होगा।


