राहुल गांधी के साथ वोटर अधिकार यात्रा करने के बाद अब तेजस्वी यादव अकेले यात्रा पर निकल रहे हैं। उन्होंने इस बारे में न तो कांग्रेस से बात की और न बाकी सहयोगी पार्टियों से और 15 सितंबर से बिहार की यात्रा का ऐलान कर दिया। इससे कांग्रेस, वीआईपी और लेफ्ट की पार्टियां परेशान हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी की पार्टी वोटर अधिकार यात्रा में ज्यादा तवज्जो नहीं मिलने से परेशान है। वह यात्रा पूरी तरह से कांग्रेस की हो गई थी। यात्रा के दौरान चारों तरफ कांग्रेस के झंडे दिखते थे। इसके अलावा यात्रा समापन के बाद कांग्रेस की ओर से ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाया जाने लगा है। कांग्रेस ने पप्पू यादव को भी पूरा महत्व दिया, जिनसे राजद को समस्या है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पिछली बार 70 सीटों पर लड़ी थी और इस बार भी कम से कम 60 सीटों की मांग कर रही है। कांग्रेस के नेता अनौपचारिक बातचीत में कह रहे हैं कि अगर बहुत समझौता हुआ तब भी कांग्रेस 55 से कम सीट नहीं लेगी। तेजस्वी यादव इसके लिए तैयार नहीं हैं। इस बार उनको मुकेश सहनी की पार्टी को भी एडजस्ट करना है और सीपीआई माले को भी पहले से ज्यादा सीटें देनी हैं। राजद पिछली बार 144 सीटों पर लड़ी थी उसमें तेजस्वी ज्यादा सीट छोड़ने की जोखिम नहीं ले सकते हैं। तभी उन्होंने भी सहयोगी पार्टियों खास कर कांग्रेस पर दबाव बनाने का फैसला किया है। अब तेजस्वी यादव यात्रा पर निकलेंगे तो राजद की ताकत दिखेगी, उसके झंडे लहराएंगे, उसके उम्मीदवार सड़कों पर दिखेंगे। इसके बाद राजद के नेता मान रहे हैं कि कांग्रेस की मोलभाव की ताकत कम होगी। ‘इंडिया’ ब्लॉक यानी महागठबंधन में इस तरह जोर आजमाइश चल रही है।


