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मोदी के भाषणों से बिहार में लेने के देने!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में जो बयान दिया उससे लोकसभा चुनाव के प्रचार और विमर्श दोनों की दिशा बदल गई। कई तरह से उसकी व्याख्या हो रही है। लेकिन तमाम राजनीतिक और बौद्धिक बहसों से दूर बिहार में भाजपा की सहयोगी जनता दल यू की चिंता चुनावी कारणों से बढ़ गई है। प्रधानमंत्री के बयान से अगर सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण होता है और जैसा पहले चरण में हुआ उसी तरह से जातीय समीकरण भी काम करते रहते हैं तो बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए बिहार में भाजपा और जदयू दोनों के नेता इन बयानों पर चुप्पी साधे हुए हैं। दूसरे चरण के मतदान के दिन यानी 26 अप्रैल को मुंगेर के लखीसराय में प्रधानमंत्री मोदी की रैली होने वाली थी, जो अब संभवतः नही हो रही है।

असल में दूसरे चरण में बिहार की पांच सीटों पर मतदान होना और इन पांचों सीटों पर जनता दल यू के प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार भी इन पांचों सीटों पर जदयू चुनाव लड़ी थी और एक सीट छोड़ कर बाकी चार सीटों पर जीती थी। दूसरे चरण में बांका, भागलपुर, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया सीट पर मतदान होना है। पिछली बार किशनगंज सीट कांग्रेस ने जीती थी। बिहार की 40 में से वह इकलौती सीट थी, जो कांग्रेस और राजद गठबंधन को मिली थी। इस बार भी उस समय सीट पर कांग्रेस आरामदेह स्थिति में है क्योंकि वहां 65 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोट है। हालांकि असदुद्दीन ओवैसी ने भी उम्मीदवार उतारा है लेकिन इस बार कांग्रेस के प्रति ज्यादा सद्भाव दिख रहा है। 

किशनगंज के अलावा बाकी चार सीटों पर 2019 में जदयू जीती थी। ध्यान रहे उससे पहले 2014 के चुनाव में जब भाजपा और जदयू अलग अलग लड़े थे तब जदयू को सिर्फ एक पूर्णिया की सीट मिली थी और भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। चार सीटें कांग्रेस, राजद और एनसीपी के खाते में गई थी। इसका कारण यह है कि इस इलाके में मुस्लम आबादी बहुत बड़ी है। पूर्णिया डिवीजन में 46 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी है। इस डिवीजन की तीन सीटों पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार में चुनाव है। इसके अलावा बांका और भागलपुर में भी मुस्लिम आबादी अच्छी खासी संख्या में है। जदयू को चिंता इस बात की है कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद ध्रुवीकरण होता है तो मुस्लिम मतदाता ज्यादा संख्या में मतदान करने निकलेंगे।

ध्यान रहे भाजपा के साथ रहते हुए भी नीतीश को कुछ मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं, जिसकी संभावना इस बार समाप्त हो गई है। ऊपर से पूर्णिया में यादव अगर पप्पू यादव के साथ जाते हैं और मुस्लिम उनका साथ देते हैं तो नीतीश अपनी मजबूत सीट हार सकते हैं। इसी तरह भागलपुर में कांग्रेस के भूमिहार उम्मीदवार का साथ अगर उनकी जाति के मतदाता देते हैं तो मुस्लिम और यादव वोट से उनकी जीत का समीकरण बनेगा। बांका में राजद के यादव उम्मीदवार जयप्रकाश यादव के साथ राजद के समीकरण का वोट पूरी तरह से एकजुट हुआ है। किशनगंज में डॉक्टर मोहम्मद जावेद और कटिहार में तारिक अनवर के साथ मुस्लिम पूरी तरह से एकजुट होगा।  जदयू को चिंता इस बात की भी है कि इन पांच सीटों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिर्फ एक दौरा हुआ, जबकि पहले चरण की चार में से तीन सीटों पर वे प्रचार के लिए गए थे।

By NI Political Desk

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