भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक हुई है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोड़ कर बाकी सभी नेता मिले। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बैठक में शामिल हुए।
संगठन के पदाधिकारी और कुछ अन्य वरिष्ठ नेता भी इस बैठक में थे। बताया जा रहा है कि इसमें पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए शुरू हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर चर्चा हुई और उसके ज्यादा चर्चा सीजफायर के बारे में हुई।
भाजपा पार्टी के नेताओं ने इस रणनीति पर विचार विमर्श किया कि कैसे देश के लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जाए, जिससे अधिकतम राजनीतिक लाभ मिले। असल में पार्टी को लग रहा है कि सीजफायर से लोगों का मनोबल गिरा है। भाजपा समर्थक निराश हुए हैं।
सीजफायर सहमति पर भाजपा की चिंता
सात मई और नौ मई की सुबह देश में जो माहौल था वह पंक्चर हो गया है। देश के लोग सेना की ब्रीफिंग और मीडिया की सच्ची झूठी खबरों से इस गुमान में थे कि भारत ने पाकिस्तान को सबक सीखा दिया है। पाकिस्तान तहस नहस हो गया है।
अब भारत जब चाहे तब पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा कर सकता है और पाकिस्तान से अलग होकर बलूचिस्तान बनने ही वाला है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
भारत ने अचानक शनिवार को सीजफायर पर सहमति जता दी। इसके बाद सोशल मीडिया में जो प्रतिक्रिया हुई उसको लेकर भाजपा को चिंता है।
बिहार में पांच महीने में विधानसभा के चुनाव हैं और बीएमसी सहित महाराष्ट्र के कई शहरी निकायों में चुनाव होने वाला है। वहां क्या नैरेटिव बनाना है, भाजपा पार्टी उस पर विचार कर रही है।
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