यह भविष्यवाणी की तरह है लेकिन इसका पुख्ता आधार है। जो आज तक नहीं हुआ वह बिहार में इसी विधानसभा में होगा। समूचे उत्तर भारत में या हिंदी पट्टी में बिहार एकमात्र राज्य है, जहां आज तक भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री नहीं बना है। बाकी सभी राज्यों में भाजपा अपने मुख्यमंत्री बना चुकी है। हिंदी पट्टी के साथ साथ पूर्वी भारत में भी भाजपा ने अपना आधार मजबूत किया है। अब बिहार में उसके अपना मुख्यमंत्री बनाने की बारी है। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुमत के काफी करीब पहुंच गई है। इससे पहले एक बार 2010 में वह 91 सीटों पर जीती थी लेकिन तब नीतीश कुमार 115 सीटों पर जीते थे। उसके बाद पहली बार भाजपा ने 89 के आंकड़े तक पहुंची है और जनता दल यू उससे चार सीट पीछे है। तभी माना जा रहा है कि इस विधानसभा में किसी समय भारतीय जनता पार्टी अपना मुख्यमंत्री बना सकती है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा यह काम नीतीश कुमार की सहमति से करना चाह रही है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को शुरू में कुछ दिन के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। सबको पता है कि उनकी सेहत बहुत अच्छी नहीं है और धीरे धीरे उसमें और गिरावट आएगी। इसलिए भाजपा तत्काल कुछ करने की बजाय इंतजार करेगी। थोड़े समय के बाद उनकी जगह भाजपा का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा और पुराने फॉर्मूले के तहत उनकी पार्टी का उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। यह भी कहा जा रहा है कि जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को उप मुख्यमंत्री बनाने का दांव चल सकते हैं। हालांकि यह दूर की कौड़ी है लेकिन भाजपा की संख्या और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘हनुमान’ यानी चिराग पासवान की पार्टी की संख्या देख कर ऐसा हो जाना कोई हैरानी की बात नहीं होगी। तभी चुनाव नतीजों के बाद से ही इस बात की अटकलें शुरू हो गई हैं कि भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री कौन होगा।


