कनाडा में चुनाव नतीजे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मार्क कार्नी को बधाई दी और बेहतर संबंधों की उम्मीद जताई। उसके बाद से यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत के साथ कनाडा के संबंध फिर पहले के जैसे हो सकते हैं। इस अंदाजे का एक कारण यह भी है कि भारत के साथ संबंध खराब करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पूरी तरह से हाशिए में चले गए हैं। उनकी लिबरल पार्टी की जीत के बावजूद वे कहीं दिखाई नहीं दिए। दूसरे, कट्टरपंथी राजनीति करने वाले जगमीत सिंह की पार्टी को बड़ा झटका लगा है। उनकी पार्टी सिर्फ सात सीट पर सिमट गई है और वे खुद चुनाव हार गए हैं।
तभी माना जा रहा है कि जल्दी ही संबंध सुधार की प्रक्रिया शुरू होगी। इसकी शुरुआत जल्दी ही हो सकती है। अगले महीने यानी जून में कनाडा में जी 7 की बैठक होने वाली है। कनाडा के प्रधानमंत्री जी 7 की बैठक में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता दे सकते हैं। अगर वे न्योता देते हैं तो यह बर्फ पिघलने का संकेत होगा और तब माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी निश्चित रूप से इस कार्यक्रम में शामिल होने जाएंगे। हालांकि कनाडा और अमेरिका की तनातनी अब भी बरकरार है और कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसके बढ़ने की आशंका है। तभी भारत को अपना पक्ष बहुत सावधानी से चुनना होगा। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि जी 7 की बैठक में डोनाल्ड ट्रंप हिस्सा लेते हैं या नहीं और हिस्सा लेते हैं तो क्या कहते हैं?