यह बहुत दिलचस्प बात है कि सरकार की नजर उम्मीदवारों के हलफनामे पर है। आमतौर पर विधानसभा या लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार अपने नामांकन के साथ जो हलफनामा दाखिल करते हैं उसके आधार पर मीडिया में उसकी व्याख्या होती है। किसके ऊपर कितने मुकदमे हैं या किसके पास कितनी संपत्ति है या किसने कहां तक पढ़ाई की है, पांच साल में किसकी उम्र कितनी बढ़ी जैसे मुद्दों में लोगों की दिलचस्पी होती है। एडीआर नाम की संस्था बहुत व्यवस्थित तरीके से इसका अध्ययन करती है। इतना ही नहीं हर उम्मीदवार का पूरा ब्योरा तीन बार अखबारों में छपता है ताकि लोगों के अपने उम्मीदवार के बारे में हर बात की जानकारी हो। चुनाव आयोग मतदाताओं को जागरूक करने के लिए ऐसा करता है। इस बार संभवतः पहली बार ऐसा हो रहा है कि उम्मीदवारों के हलफनामे पर सरकार और एजेंसियों की भी नजर है।
बताया जा रहा है कि आयकर विभाग इस बात की जांच करेगा कि किस उम्मीदवार की संपत्ति ज्यादा बढ़ी है और ज्यादा बढ़ी है तो क्यों बढ़ी है। ध्यान रहे अनेक उम्मीदवारों की संपत्ति पांच साल की अवधि में पांच गुना या दस गुना बढ़ जाती है। बताया जा रहा है कि आयकर विभाग ऐसे उम्मीदवारों की जांच करेगा कि उनकी संपत्ति पांच साल में कैसे इतनी बढ़ी। जिन उम्मीदवारों का कोई कानूनी रूप से वैध कारोबार है उनकी बात अलग है। लेकिन बहुत से नेता ऐसे हैं, जिनका कोई कारोबार नहीं है फिर भी संपत्ति कई गुना बढ़ जाती है। जांच होने पर पता चलेगा कि ऐसा चमत्कार कैसे होता है। एजेंसियों की नजर संभवतः इसलिए भी उम्मीदवारों पर गई है क्योंकि देश के हर चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। बहरहाल, नेताओं के ऊपर बढ़ते आपराधिक मामलों का क्या होगा? उसकी भी जांच और जल्दी निपटारा होना चाहिए।


