बिहार विधानसभा में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस ने धीरे धीरे अपने पत्ते खोलने शुरू कर दिए हैं। दिल्ली में दो दिन हुई बैठक के बाद कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह पिछली बार लड़ी 70 सीटों में ज्यादा समझौता करने के मूड में नहीं है। और दूसरी बात उसने यह साफ कर दी है कि उसे इस बार अच्छी सीटें चाहिएं। पार्टी के बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने कहा है कि हर राज्य में अच्छी और बुरी सीटें होती हैं। यह सही है कि पार्टियों के जातीय समीकरण के हिसाब से कुछ सीटें अच्छी मानी जाती हैं और कुछ मुश्किल मानी जाती हैं, जबकि कुछ सीटें बहुत बुरी होती हैं, जिन पर कोई पार्टी दशकों से नहीं जीत रही होती है।
कृष्णा अल्लावरू ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस संख्या बढ़ाने के लिए बुरी सीटों पर नहीं लड़ेगी। ध्यान रहे बिहार के उत्तरी और पश्चिम हिस्से में भाजपा और एनडीए का मजबूत आधार है। उधर कांग्रेस कम सीटें चाहती है। वह मध्य व दक्षिण बिहार और सीमांचल के इलाके में ज्यादा सीट चाहती है। पूर्वी और सीमांचल के इलाके में उसके दो सांसद जीते हैं। इस इलाके में मुस्लिम और यादव का समीकरण बहुत मजबूत है। वहां कांग्रेस के पास पप्पू यादव भी हैं, जो निर्दलीय सांसद हैं। इस तरह उसके तीन सांसद इसी इलाके से हैं। इसी तरह शाहाबाद और भोजपुर के इलाके में भाजपा सासाराम की सीट जीती है। इस इलाके में पिछले तीन चुनाव से भाजपा और जदयू को नुकसान हो रहा है तो कांग्रेस इस इलाके में भी ज्यादा सीट चाहती है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर आवेदन मंगाए हैं। उसे दो हजार से ज्यादा आवेदन मिले हैं। इनमें से वह मजबूत उम्मीदवार छांट रही है।


