केरल में चुनाव नजदीक आ रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि सीपीएम सरकार बदल रही है। यह भी कह सकते हैं कि देश की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम में बड़ा वैचारिक बदलाव आ रहा है। यह बदलाव ऐसा समय में आ रहा है, जब पार्टी की कमान वैचारिक शुद्धता पर सर्वाधिक आग्रह रखने वाले प्रकाश करात के हाथ में है। सीताराम येचुरी व्यावहारिक राजनीति करने वाले संशोधनवादी माने जाते थे लेकिन करात शुद्धतावादी हैं। फिर भी केरल की कम्युनिस्ट सरकार अपनी पुरानी आर्थिक नीतियों में बदलाव की दिशा में बढ़ रही है। पार्टी की प्रदेश कांग्रेस में इस पर सहमति बनी है।
बताया जा रहा है कि केरल की पिनरायी विजयन सरकार राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों यानी पीएसयू में निजी निवेश के लिए सहमत हो गई है। सोचें, पिछल तीन दशक से ज्यादा समय से यानी जब से नरसिंह राव की सरकार ने अर्थव्यवस्था को उदार बनाना शुरू किया तब से कम्युनिस्ट पार्टियों का सर्वाधिक विरोध सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में निजी निवेश और सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश को लेकर रहा। लेकिन अब जबकि उसकी सरकार सिर्फ एक राज्य में बची है तो उसे बचाने की मजबूरी में पीएसयू में निजी निवेश के लिए तैयार हो गई है और साथ ही राजस्व जुटाने के लिए सार्वजनिक संपत्तियों से धन जुटाने यानी उन्हें मोनेटाइज करने में भी दिक्कत नहीं है। अब देखना होगा कि इस साल होने वाली पार्टी कांग्रेस में आर्थिक प्रस्ताव में इन मुद्दों पर क्या रुख लिया जाता है।