nayaindia arvind Kejriwal Hemant Soren केजरीवाल और हेमंत सोरेन का फर्क

केजरीवाल और हेमंत सोरेन का फर्क

Arvind Kejriwal ED summons
Arvind Kejriwal ED summons

दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्षी पार्टियों की ‘महारैली’ में भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने कांग्रेस विरोध का अपना राग नहीं छोड़ा। वे कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रहे हैं। पंजाब को छोड़ कर दिल्ली और दिल्ली से बाहर भी कुछ राज्यों में दोनों पार्टियां साथ मिल कर लड़ रही हैं।

फिर भी केजरीवाल का जो संदेश उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने ‘महारैली’ में पढ़ा वह कांग्रेस की पिछली सरकारों पर ज्यादा सवाल उठाने वाला था। उनके संदेश वैसी ही बातें लिखी हुईं थीं जैसी बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा के नेता कहते हैं। आश्चर्यजनक रूप से केजरीवाल दंपत्ति ने प्रधानमंत्री मोदी को बहुत आक्रामक तरीके से निशाना नहीं बनाया।

सोचें, केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ साझा रैली करने का फैसला किया। इससे कुछ ही दिन पहले झारखंड में हेमंत सोरेन की गिरफ्तार हुए थे, जो कांग्रेस के पुराने सहयोगी हैं और जिनके साथ कांग्रेस राज्य की सरकार में शामिल थे। लेकिन उनकी गिरफ्तारी पर कोई साझा रैली नहीं हुई। वे हाल के दिनों में गिरफ्तार होने वाले पहले मुख्यमंत्री थे।

वे ईडी के अधिकारियों के साथ साथ राजभवन गए थे, जहां उनका इस्तीफा हुआ था और बाद में हेमंत सोरेन ने कहा कि वे पहले नेता हैं, जो राजभवन में गिरफ्तार हुए हैं। उन्होंने राजभवन की भूमिका की जांच की भी मांग की थी। इसक बावजूद कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने साझा रैली या विरोध में साझा प्रदर्शन नहीं किया।

इसके उलट केजरीवाल ने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस विरोध के साथ की और हाल के दिनों तक कांग्रेस ही उनके निशाने पर रही है। बाकी तो वे वही राजनीति करते हैं, जो भाजपा करती है। वैचारिक रूप से वे भाजपा के करीब हैं। उनकी पार्टी ने राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लेने की मांग की थी। अब भी पंजाब के चुनाव में केजरीवाल की पार्टी जिस तरह से कांग्रेस पर अटैक कर रही है वैसा अटैक भाजपा भी नहीं कर रही है।

फिर भी सारी बातें भूल कर कांग्रेस ने केजरीवाल के समर्थन में रैली को समर्थन दिया। रैली की भीड़ का बड़ा हिस्सा हरियाणा से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं का था। दूसरी ओर हेमंत सोरेन की पार्टी थोड़े समय भाजपा के साथ रही है लेकिन कभी भी कांग्रेस के साथ उसके संबंध बहुत कड़वाहट वाले नहीं रहे हैं। जेएमएम नेता कभी भी कांग्रेस पर वैसे हमले नहीं करते हैं, जैसे आप के नेता करते हैं।

बहरहाल, ऐसा लग रहा था कि संकट की घड़ी में कांग्रेस ने केजरीवाल का समर्थन किया है तो वे भी सद्भाव दिखाएंगे। लेकिन केजरीवाल ने ईडी की हिरासत से जो संदेश भेजा, जिसे उनकी पत्नी ने पढ़ा उसमें वे राष्ट्रीय नेता के तौर पर अपनी पोजिशनिंग करते रहे। उन्होंने बार बार कहा कि पिछले 75 साल में कोई काम नहीं हुआ है। केजरीवाल के संदेश में कहा गया कि 75 साल बाद भी लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलती हैं और खाने पीने की समस्या है।

उन्होंने कहा कि 75 साल बाद भी ऐसी गरीबी है, जिससे भारत माता की आत्मा रोती है। ध्यान रहे आजादी के बाद 70 साल में कुछ नहीं होने का नैरेटिव भाजपा का है, जिससे वह कांग्रेस की पिछली सरकारों को विफल साबित करती है। वहीं काम केजरीवाल कर रहे थे। ऊपर से उन्होंने बिना सभी पार्टियों की सहमति लिए देश के 140 करोड़ लोगों के लिए छह गारंटियों की घोषणा कर दी। बाकी सभी पार्टियों ने साझा एजेंडे पर केंद्रित भाषण दिया, जबकि केजरीवाल का संदेश सिर्फ अपने एजेंडे पर केंद्रित था।

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