nayaindia Arvind Kejriwal आप के बड़बोलेपन का इलाज नहीं

आप के बड़बोलेपन का इलाज नहीं

अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के बड़बोलेपन का कोई इलाज नहीं है। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों में उत्तर भारत के तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हार जाने के बाद पार्टी ने दावा किया कि उत्तर भारत में अब सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी आप हो गई है क्योंकि तीन राज्यों में उसकी सरकार है। यह पहली बार नहीं है, जब पार्टी ने इस तरह का बयान दिया है। पिछले साल जब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी, तब भी पार्टी की ओर से कहा गया था कि वह देश की तीसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी हो गई क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी पार्टी की एक से ज्यादा राज्य में सरकार नहीं है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद जो दावे किए गए थे वो अपनी जगह हैं।

यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी के इस दावे को कोई गंभीरता से नहीं लेता है। यह सही है कि उसकी दो राज्यों- दिल्ली और पंजाब में सरकार है लेकिन इसमें दिल्ली में सरकार में सरकार की असली ताकत उप राज्यपाल के पास है। एक पूर्ण राज्य पंजाब में उसकी सरकार है। इन दो राज्यों के अलावा गुजरात में पांच और गोवा में उसके दो विधायक हैं। उत्तर भारत के दोनों राज्यों में कुल मिला कर उसके पास 154 विधायक हैं। सिर्फ एक लोकसभा सांसद है और दिल्ली, पंजाब की सभी 10 राज्यसभा सीटें उसके पास हैं। इस आधार पर पार्टी यह दावा कर रही है कि वह उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी हो गई।

आम आदमी पार्टी तो अब दूसरी प्रादेशिक पार्टियों से तुलना ही नहीं कर रही है। उसका निशाना सिर्फ कांग्रेस पार्टी है। यह सही है कि उत्तर भारत में कांग्रेस का सिर्फ हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री है। लेकिन सिर्फ इस आधार पर कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी का आकलन नहीं किया जा सकता है। उत्तर भारत के दो राज्यों- बिहार और झारखंड में कांग्रेस के समर्थन वाली सरकार है और दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकार में शामिल है। इन तीन राज्यों के अलावा कांग्रेस एकाध को छोड़ कर सभी उत्तर भारतीय राज्यों में मुख्य विपक्षी पार्टी है।

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस इन तीनों राज्यों में मुख्य विपक्षी पार्टी है। सिर्फ इन तीन राज्यों में कांग्रेस के इतने विधायक हैं, जितने आदमी पार्टी के पूरे देश में नहीं हैं। इन तीन राज्यों में कांग्रेस के 171 विधायक हैं, जबकि दिल्ली, पंजाब, गुजरात और गोवा मिला कर आप के 161 विधायक हैं। मतलब आप के पास सब जीतने के बाद जितना है उतना कांग्रेस के पास तीन राज्य हारने के बाद बचा है। इन तीन के अलावा कांग्रेस पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में मुख्य विपक्षी पार्टी है। इन तीन राज्यों में उसके 56 विधायक हैं। जहां वह सीधे या सहयोगियों के साथ सरकार में है वहां उसके 76 विधायक हैं। उत्तर प्रदेश के दो विधायकों को जोड़ें तो उत्तर भारत में कांग्रेस के कुल 305 विधायक हैं। यानी आप की संख्या के दोगुने से थोड़े कम। फिर भी विपक्षी पार्टियों की राजनीति के बीच अपना नैरेटिव सेट करने के लिए आप की ओर से उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने का दावा शुरू हो गया है और आगे भी होता रहेगा।

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