nayaindia Lok sabha election BJP जीती हुई सीटें बचाने पर भाजपा का ध्यान

जीती हुई सीटें बचाने पर भाजपा का ध्यान

भाजपा
BJP candidate list 2024

भारतीय जनता पार्टी अपनी जीती लोकसभा की एक भी सीट इस बार गंवाना नहीं चाहती है। नई सीटें जीतने के उपाय तो हो रहे हैं लेकिन जीती हुई सीटों को बचाने के लिए भाजपा ज्यादा मेहनत करती दिख रही है। इससे ऐसा लग रहा है कि भाजपा नई सीटें जीतने को लेकर ज्यादा आश्वस्त नहीं है।

तभी वह जीती हुई सीटों को बचाने पर ज्यादा मेहनत कर रही है। भाजपा के जानकार नेताओं का कहना है कि नई सीट जीतने की संभावना वही दिख रही है, जहां भाजपा पहले से मजबूत है और पिछले चुनाव में किसी वजह से कुछ कम सीटें जीती है। ऐसे राज्यों में भाजपा को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से कुछ उम्मीदें हैं।

भाजपा किस तरह से अपनी जीती हुई सीटों को बचाने की कोशिश कर रही है इसकी मिसाल बीजू जनता दल से समझौता है। पार्टी को लग रहा है कि राज्य में पिछली बार जीती हुई आठ सीटें बचाने के लिए जरूरी है कि प्रत्यक्ष रूप से तालमेल हो। छद्म तालमेल करने या अंदरखाने सीटों की एडजस्टमेंट में भाजपा को नुकसान की आशंका दिख रही थी।

डेटा और फीडबैक पर काम करने वाली भाजपा की टीम का आकलन है कि 15 साल पहले बीजू जनता दल से तालमेल खत्म होने तक दोनों जब भी मिल कर लड़ते तो दोनों का साझा वोट 50 फीसदी पहुंच जाता था। इसी गणित के हिसाब से भाजपा ने तालमेल का फैसला किया। उसे अपनी आठ सीटें बचानी हैं।

ऐसे ही तमाम विरोधों को दरकिनार और त्रिपुरा में भाजपा ने तिपरा मोथा के साथ तालमेल का फैसला किया। पार्टी के नेताओं को तिपरा मोथा के नेता प्रद्योत देबबर्मन के क्रांतिकारी विचारों का पता है कि वे अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी पार्टी को सरकार में शामिल करने का फैसला हुआ। इसका मकसद राज्य की दोनों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना है। सोचें, भाजपा एक एक सीट पर कैसे काम कर रही है कि उसने त्रिपुरा की एक सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद बिप्लब देब को उम्मीदवार बनाया है। वह कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।

बिहार में अपनी जीती हुई 17 सीटें बचाने के लिए भाजपा ने नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी कराई और उनको मुख्यमंत्री भी बनाए रखा। अब तमाम छोटी पार्टियों से सीट बंटवारे की बात करके भाजपा सुनिश्चित करना चाहती है कि वह 17 में से कोई सीट नहीं हारे। ऐसे ही महाराष्ट्र की 23 सीटें सुनिश्चित करना उसकी पहली चिंता है।

उसे लग रहा है कि कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की स्थिति मजबूत है इसलिए वह पिछली बार की तरह 25 नहीं, बल्कि 30 से ज्यादा सीट लड़ना चाहती है ताकि 23 सीटें किसी तरह से मिल जाएं। ज्यादा सीट लड़ने पर एकाध अतिरिक्त सीट जीते तो वह बोनस है। अपनी सीटें बचाने के लिए ही भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बना रखा है।

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