एक तरफ मंडल की राजनीति तेजी से शुरू हो गई है। हर जगह जाति गणना और अन्य पिछड़ी जातियों का आरक्षण बढ़ाने और पिछड़ी जातियों के अंदर अत्यंत पिछड़ी जातियों का वर्गीकरण करके आरक्षण के भीतर आरक्षण की व्यवस्था करने की मांग हो रही है तो दूसरी ओर दलित वोट के ध्रुवीकरण की राजनीति अलग शुरू हो गई है। सभी पार्टियां इस दिशा में किसी न किसी तरह का अभियान चला रही है। बिहार में जनता दल यू ने दलित समुदायों तक पहुंच बनाने के लिए भीम संसद यात्रा निकाली है, जिसकी टैग लाइन है ‘संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ, देश बचाओ’।
जदयू के विधायक और राज्य सरकार के मंत्री अशोक चौधरी इसका नेतृत्व कर रहे हैं। उनके साथ सुनील कुमार और रत्नेश सादा को भी लगाया गया है। पांच नवंबर को पटना में भीम संसद होगी, जिसमें एक लाख लोगों को जमा करने का लक्ष्य है। उधर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने कांशीराम की पुण्य तिथि के मौके पर दलित संवाद यात्रा शुरू की। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने भी दलितों को लुभाने का अभियान शुरू किया है। 17 अक्टूब को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हापुड़ से इसकी शुरुआत की। उधर महाराष्ट्र में शिव सेना ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर की पार्टी के साथ तालमेल किया है।