कांग्रेस नेता राहुल गांधी चाहते हैं कि पार्टी के सभी बड़े नेता लोकसभा का चुनाव लड़ें। तमाम पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों के साथ साथ वे पार्टी पदाधिकारियों को भी चुनाव लड़ाना चाहते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस का कोई बड़ा नेता चुनाव नहीं लड़ना चाहता है। किसी न किसी बहाने से कांग्रेस के नेताओं ने पार्टी आलाकमान को मैसेज भिजवाया है कि उनको चुनाव लड़ने के लिए नहीं कहा जाए। हालांकि राहुल ने अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है लेकिन बताया जा रहा है कि कांग्रेस के अंदर इस पर माथापच्ची चल रही है कि अगर बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ते हैं तो उनका क्या इस्तेमाल किया जाए।
कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के दोनों बड़े नेता यानी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव लोकसभा का चुनाव लड़ें। लेकिन दोनों नेताओं ने हाथ खड़े कर दिए हैं। भूपेश बघेल की ओर से पार्टी आलाकमान को बताया गया है कि अगर वे लोकसभा चुनाव लड़े तो राज्य की सभी 11 सीटों पर कैसे प्रचार कर पाएंगे। वे चाहते हैं कि फ्री रहें और सभी सीटों पर प्रचार करें साथ ही किसी राज्य में भी चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी निभाएं। उनको पिछले दिनों राहुल की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बिहार पहुंचने से पहले बिहार भेजा गया था। अगर वे तैयार होते तो कांग्रेस उनको दुर्ग सीट पर भतीजे विजय बघेल के खिलाफ लड़ाती। गौरतलब है कि भाजपा ने सांसद विजय बघेल को पाटन विधानसभा सीट पर भूपेश बघेल के खिलाफ उतारा था। बहरहाल, टीएस सिंहदेव भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। उन्होंने तो राज्यसभा सीट की दावेदारी कर दी है।
मध्य प्रदेश की 29 में से कांग्रेस को पिछली बार सिर्फ एक छिंदवाड़ा सीट मिली थी, जहां से तब के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुल नाथ ने चुनाव लड़ा था। राहुल गांधी चाहते हैं कि कमलनाथ चुनाव लड़ें। लेकिन इस बीच नकुल नाथ ने ऐलान कर दिया है कि वे छिंदवाड़ा सीट लड़ेंगे और उनके पिता चुनाव नहीं लड़ेंगे। मध्य प्रदेश के एक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पिछली बार भोपाल सीट पर प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ लड़े थे। इस बार भी पार्टी चाहती है कि वे किसी सीट से चुनाव लड़ें ताकि पार्टी पिछली बार से कुछ बेहतर कर सके। लेकिन बताया जा रहा है कि वे चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते हैं।
राजस्थान में राहुल गांधी चाहते हैं कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों चुनाव लड़ें। पिछली बार लोकसभा चुनाव के समय गहलोत मुख्यमंत्री और पायलट उप मुख्यमंत्री थे। इसलिए दोनों नहीं लड़े थे। तब गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर से टिकट मिली थी लेकिन वे गजेंद्र सिंह शेखावत से हार गए थे। इस बार कांग्रेस चाहती है कि पिछली बार की तरह वह जीरो पर नहीं सिमटे। कांग्रेस हरियाणा में चाहती है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा दोनों चुनाव लड़ें। पिछली बार भी दोनों लड़े थे और कम कम अंतर से हारे थे। हालांकि दीपेंद्र हुड्डा राज्यसभा सांसद हैं। अगर वे जीते तो उन्हें राज्यसभा सीट खाली करनी पड़ेगी। भूपेंद्र हुड्डा भी इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। हिमाचल प्रदेश में प्रतिभा सिंह हों या दिल्ली में अजय माकन कोई चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है।