बिहार में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के बाद नीतीश कुमार अब भाजपा के साथ सीट शेयरिंग की बात करेंगे। बताया जा रहा है कि शुरुआती बातचीत में उन्होंने 15 सीटें फाइनल कर दी हैं। पिछली बार वे 17 सीटों पर लड़े थे लेकिन इस बार दो सीट छोड़ने को राजी हो गए हैं। पहले कहा जा रहा था कि भाजपा उनको सिर्फ 12 या 13 सीट देगी। लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात में नीतीश ने 15 सीटों की मांग रखी। उन्होंने साफ कर दिया कि पिछली बार जीती हुई 16 में से 14 सीटों पर वे लड़ेंगे और एक हारी हुई किशनगंज की सीट भी लेंगे।
बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने अपनी जीती हुई दो सीटें अपने ही लोगों के लिए छोड़ी हैं। नीतीश के साथ रहे उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी ने अपनी अपनी पार्टी बना ली है। बताया जा रहा है कि नीतीश ने काराकाट सीट कुशवाहा के लिए और गया सीट मांझी के लिए छोड़ी है। अगर यह फॉर्मूला चलता है तो भाजपा पिछली बार की तरह 17 सीटों पर लड़ेगी और लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों खेमों के बीच छह सीटें बंटेंगी। पहले एक राज्यसभा सीट दिए जाने की चर्चा थी लेकिन भाजपा ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। विधानसभा में बहुमत साबित करने के दौरान नीतीश कुमार ने दिखा दिया कि उनकी पार्टी में एकाध विधायकों की नाराजगी के अलावा ज्यादा टूट नहीं है। उससे ज्यादा टूट भाजपा में दिखी है। भाजपा और राजद दोनों के लिए इसमें संदेश है। उन्हें अभी नीतीश को बहुत कमजोर मानने की सोच छोड़नी होगी।