उत्तर और दक्षिण के राजनीतिक विभाजन की चर्चाओं के बीच खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए साल में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत दक्षिण भारत से कर सकते हैं। हालांकि नए साल के पहले महीने में उनका कई दिन तक अयोध्या में रहने का कार्यक्रम है, जहां श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। लेकिन उसके अलावा वे दक्षिण भारत में राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होंगे। असल में भाजपा को दक्षिण भारत की 30 लोकसभा सीटें बचानी है और संभव हो तो उसमें इजाफा करना है। तभी अमित शाह ने तेलंगाना में 10 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, जहां पिछली बार उसे चार सीटें मिली थीं।
असल में उत्तर और पश्चिमी भारत के ज्यादातर राज्यों में भाजपा पहले से सारी सीटें जीत तक चरम पर है। वहां अब उसकी सीटें नहीं बढ़ सकती हैं। अगर किसी वजह से उन राज्यों में उसकी सीटें कम होती हैं तो उसकी भरपाई दक्षिण भारत के राज्यों से ही हो सकती है। अगर दक्षिण भारत में खास कर कर्नाटक में उसे नुकसान होता है तो उसका असर भाजपा की कुल सीट संख्या पर होगा। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी उन दो राज्यों में जाएंगे, जहां भाजपा की एक भी सीट नहीं है। प्रधानमंत्री तमिलनाडु और केरल जाएंगे। साथ ही लक्षद्वीप भी जाने का कार्यक्रम है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से काशी-तमिल संगम के कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री मोदी शामिल होते रहे हैं। इसे आधार बना कर पार्टी तमिल राजनीति में उतरेगी।