nayaindia Loksabha Election 2024 राज्यों में मोदी प्लस की जरुरत

राज्यों में मोदी प्लस की जरुरत

इसमें दो राय नहीं है कि भाजपा लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम और काम पर लड़ेगी। पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों की रिपोर्ट है कि ज्यादातर राज्यों में मोदी का नाम काम आ जाएगा। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नरेंद्र मोदी के नाम पर जीत के बाद भाजपा का मानना है कि जब भाजपा मोदी के नाम पर विधानसभा चुनाव जीत रही है तो उनके नाम पर लोकसभा चुनाव जीतना बहुत आसान होगा। आखिर लोकसभा चुनाव उनको प्रधानमंत्री बनाने के लिए होगा। तभी हिंदी पट्टी में एकाध राज्यों को छोड़ कर भाजपा ज्यादा चिंता में नहीं है। लेकिन कई राज्य हैं, जहां भाजपा को मोदी प्लस की जरुरत है।

मोदी प्लस की योजना के तहत भाजपा कई राज्यों में ऐसे नेताओं की तलाश में है, जिनका अपना मजबूत असर हो। दूसरी पार्टियों के ऐसे नेताओं को भाजपा में लाने की कोशिश हो रही है। इसी तरह साथ छोड़ कर चले गए पुराने सहयोगियों की घर वापसी कराई जा रही है या नए सहयोगी तलाशे जा रहे हैं। इसी योजना के तहत बिहार में नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हुई है। भाजपा को वहां भी चुनाव जीतने की उम्मीद थी। प्रदेश भाजपा के नेता राज्य की 40 में से 25 लोकसभा सीटों की जीत की गारंटी दे रहे थे लेकिन अमित शाह ने सभी 40 सीटें जीतने का लक्ष्य रख दिया और इसलिए जनता दल यू की एनडीए में वापसी हुई। पड़ोसी राज्य झारखंड में भी कांग्रेस और जेएमएम के कुछ मजबूत नेताओं को भाजपा में शामिल कराने की योजना पर काम चल रहा है तो उत्तर प्रदेश में छोटी छोटी तीन पार्टियां भाजपा से जुड़ी हैं।

इसी तरह पंजाब में भाजपा अपनी पुरानी सहयोगी अकाली दल को एनडीए में लाने की योजना पर काम कर रही है। अकाली दल में भी इस बात की सहमति है कि भाजपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ना चाहिए। दोनों पार्टियों ने 2022 का विधानसभा चुनाव अलग अलग लड़ कर देख लिया है। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तालमेल नहीं होगा और इसलिए अगर भाजपा व अकाली साथ मिल कर लड़ते हैं तो पिछली बार की संख्या सुधर सकती है। पिछली बार अकाली दल और भाजपा दोनों को दो-दो सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने आठ और आम आदमी पार्टी ने एक सीट जीती थी।

जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और अजित पवार को साथ जोड़ तो लिया है लेकिन इन दोनों के सहारे किसी बड़े राजनीतिक लाभ की संभावना अभी नहीं दिख रही है। तभी कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे को फिर से साथ लाने की पहल हो सकती है। हालांकि यह मुश्किल काम है लेकिन राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता है। बताया जा रहा है कि जिस तरह से उद्धव ठाकरे गुट 23 लोकसभा सीटों पर अड़ा है उससे लग रहा है कि आने वाले दिनों में टकराव बढ़ेगा। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट के साथ एनसीपी का शरद पवार गुट और कांग्रेस एक साथ हैं तो प्रकाश अंबेडकर और राजू शेट्टी भी इस गठबंधन से जुड़े हैं। बहरहाल, उधर दक्षिण के राज्यों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में भाजपा नए और पुराने सहयोगियों के साथ चुनावी समीकरण बैठाने में लगी है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें