मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के सत्ता से बाहर होने और कांग्रेस के बुरी तरह हारने के पीछे सबसे बड़ा हाथ दो कथित घोटालों का था। पहले संचार घोटाला सामने आया और फिर कोयला घोटाला सामने आया। कहा गया कि संचार घोटाला एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का है और उसके बाद सामने आया कोयला घोटाला तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया गया। इससे सरकार के खिलाफ ऐसा माहौल बना कि कांग्रेस की ऐतिहासिक हार हुई और भाजपा की ऐतिहासिक जीत हुई। इसी हवा में दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार भी बन गई। लेकिन अब एक एक करके इन दोनों घोटालों के आरोपी बरी हो रहे हैं।
संचार घोटाले के मुख्य आरोपी तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा सहित सब बरी हो गए। काफी समय के बाद सीबीआई ने अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी। हालांकि उसमें यह लगभग तय है कि किसी को कुछ नहीं होने वाला है। अब कोयला घोटाले में एक एक करके सारे लोग बरी हो गए हैं। तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता पहले एक मामले में बरी हुए थे और अब छत्तीसगढ़ कोयला खदान से जुड़े मामले में भी वे बरी हो गए हैं। उनके साथ साथ दूसरे अधिकारी और कारोबारी भी बरी हुए हैं। घोटाले की आरोपी एक कंपनी के मालिक नवीन जिंदल अब भाजपा में शामिल हो गए हैं। इन घोटालों का हस्र देखने के बाद ही अब भ्रष्टाचार का मुद्दा चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा है।


