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आरके सिंह की लालसा और अवसरवाद

पूर्व केंद्रीय गृह सचिव और नरेंद्र मोदी की दोनों सरकारों में मंत्री रहे आरके सिंह अब असली रंग दिखा रहे हैं। दिखा रहे हैं कि लगभग 75 साल की उम्र के बाद भी, जिसमें से 50 साल सत्ता में गुजरे हैं, उनकी लालसा खत्म नहीं हुई है। गौरतलब है कि वे 1975 बैच के आईएएस हैं और 2024 में लोकसभा चुनाव हारे तब सत्ता से बाहर हुए। वे यह भी दिखा रहे हैं कि कितने अवसरवादी हैं और यह भी कि कितने जातिवादी हैं। उनके नए कारनामे पर आएं उससे पहले बता दें कि पिछले दिनों उन्होंने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें कई अपराधी किस्म के नेताओं के नाम लेकर कहा था बिहार के मतदाताओं को इन्हें वोट नहीं देना चाहिए। इसमें उन्होंने यादव, कुशवाहा, भूमिहार सभी जातियों के बाहुबलियों के नाम लिए लेकिन अपनी राजपूत जाति के किसी का नाम नहीं लिया।

हकीकत यह है कि हत्या सहित करीब दो दर्जन आपराधिक मामलों वाले राजू सिंह भाजपा की टिकट से लड़ रहे हैं। हत्या के मामले में सजा पाए प्रभुनाथ सिंह परिवार से दो सदस्य, उनके भाई केदार सिंह और बेटे रणधीर सिंह भाजपा और जनता दल यू से चुनाव लड़ रहे हैं। कलेक्टर की हत्या में सजा काट चुके आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद नबीनगर से जनता दल यू से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन आरके सिंह ने इनमें से किसी का नाम नहीं लिया। इसके बाद उन्होंने भाजपा नेतृत्व पर दबाव डालने के लिए पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दी। जब किसी पर इसका असर नहीं पड़ा तो वे किसी दक्षिणी राज्य के किसी व्यक्ति की आरटीआई के हवाले बिहार में बिजली विभाग में घोटाले का मुद्दा ले आए हैं और अडानी समूह पर आरोप लगा रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय गृह सचिव रहते उनके विभाग ने हिंदू आतंकवाद का जुमला गढ़ा। उनके तत्कालीन मंत्री सुशील कुमार शिंदे और पूरी मनमोहन सिंह सरकार आरे सिंह के नैरेटिव का शिकार हो गई और उसके बाद वे भाजपा में जाकर मंत्री हो गए।

By NI Political Desk

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