सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर ईडी का शिकंजा कसा है और उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है तो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का खेमा नफा, नुकसान का आकलन कर रहा है। अगर वाड्रा पर कार्रवाई होती है तो हुड्डा भी नहीं बचेंगे क्योंकि उनके ऊपर आरोप है कि मुख्यमंत्री रहते उन्होंने वाड्रा को फायदा पहुंचाया।
हालांकि उनके ऊपर यह आरोप भी लगता रहा है कि उन्होंने भाजपा में अपनी सेटिंग कर रखी है। पिछले दिनों इंडियन नेशनल लोकदल के संस्थापक ओमप्रकाश चौटाला के परिजनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि हुड्डा ने भाजपा से हाथ मिला लिया था और इसलिए इनेलो ‘इंडिया’ ब्लॉक में नहीं शामिल होने दिया।
हुड्डा खेमा और वाड्रा के प्रभाव की राजनीति
बहरहाल, हुड्डा खेमा इस चिंता में है कि अगर अभी कोई कार्रवाई होती है तो विधानसभा में हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष बनने का मामला अटक जाएगा। गौरतलब है कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के सात महीने बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं नियुक्त कर पाई है। विधायकों का समर्थन हुड्डा के साथ है लेकिन कांग्रेस आलाकमान को नया चेहरा लाना है।
हुड्डा खेमा यह भी मान रहा है कि अगर वाड्रा की वजह से हुड्डा जेल जाते हैं तब सोनिया और राहुल गांधी कैसे उनकी अनदेखी कर सकते हैं? यानी वाड्रा के कारण अगर हुड्डा मुश्किल में आते हैं तो वाड्रा के कारण ही कांग्रेस में कद और पद बना रह सकता है।
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