जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का मामला अटक गया है। अनुच्छेद 370 खत्म हुए और जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बने पांच साल से ज्यादा हो गए हैं। माना जा रहा था कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने और लोकप्रिय सरकार बन जाने के बाद पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बार बार कहते हैं कि सही समय आने पर राज्य का दर्जा बहाल हो जाएगा। लेकिन ऐसा लग रहा है कि सही समय का इंतजार ज्यादा लंबा होने वाला है। लद्दाख की घटनाओं के बाद हालात बदल गए हैं और माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस बहाने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का फैसला टाल सकती है।
ध्यान रहे लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन हुआ तो बड़ी हिंसा हुई और चार लोग मारे गए। उसके बाद जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने कहा कि लद्दाख के आंदोलन को देखते हुए सरकार को सोचना चाहिए कि जम्मू कश्मीर के लोगों के मन में क्या चल रहा होगा। उनके कहने का मतलब है कि लद्दाख जब पूर्ण राज्य के लिए इस तरह से आंदोलित हो सकता है तो सोचिए जम्मू कश्मीर में क्या हो सकता है! जाहिर है जम्मू कश्मीर में ज्यादा खदबदाहट है। लेकिन लद्दाख के बाद सुरक्षा की चिंताएं बढ़ गई हैं। केंद्र सरकार लद्दाख में विदेशी ताकतों खास कर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के सक्रिय होने की बात कह रही है। यही आधार बन सकता है कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को टालने का।