कांग्रेस पार्टी ने झारखंड में अपनी राज्यसभा सीट गंवा दी है। कांग्रेस के धीरज साहू मई में रिटायर हो रहे हैं और उनकी सीट पर कांग्रेस की दावेदारी थी लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सीट अपने पूर्व विधायक सरफराज अहमद को दे दी है। कांग्रेस नेता इस बात पर खुश हो रहे हैं कि सरफराज अहमद पहले कांग्रेस में ही थे। सोचें, झारखंड में सरकार कांग्रेस के समर्थन से चल रही है। Jharkhand Rajya Sabha seat
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जेएमएम के 29 और कांग्रेस के 17 विधायक हैं। यानी कांग्रेस के बगैर जेएमएम की सरकार नहीं बन सकती है। फिर भी जेएमएम ने कांग्रेस को उसकी राज्यसभा सीट नहीं दी। लोकसभा चुनाव में भी जेएमएम ने कांग्रेस पर कम सीटें लड़ने का दबाव बनाया है लेकिन राज्यसभा का मामला कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। लगातार तीसरी बार जेएमएम ने कांग्रेस को राज्यसभा की सीट नहीं दी है।
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इस विधानसभा में यह राज्यसभा का तीसरा चुनाव है। पहला 2020 में हुआ था, जब जेएमएम ने अपने सर्वोच्च नेता शिबू सोरेन को राज्यसभा में भेजा था। ध्यान रहे शिबू सोरेन दुमका सीट से लोकसभा का चुनाव हार गए थे। तभी आम सहमति से उनको उच्च सदन में भेजा गया। लेकिन इसके बाद 2022 के चुनाव में कांग्रेस ने राज्यसभा की सीट पर अपना दावा किया। यहां तक कि कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी ने खुद बुला कर तब के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात की और कांग्रेस को सीट देने की अपील की।
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लेकिन सोनिया गांधी से मिल कर जाने के बाद हेमंत ने रांची में प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी पार्टी की नेता महुआ मांझी को राज्यसभा भेजने का ऐलान कर दिया। तब कांग्रेस के अनेक नेताओं ने इसे सोनिया गांधी का अपमान माना था। लेकिन सबने यह सोच कर संतोष कर लिया था कि अगली बार यानी 2024 में कांग्रेस की सीट खाली हो रही है तो कांग्रेस को मिलेगी। लेकिन जेल में बंद और पूरी तरह से कांग्रेस पर निर्भर हेमंत सोरेन ने इस बार फिर कांग्रेस को सीट नहीं दी। अविनाश पांडे की जगह राज्य के प्रभारी बनाए गए गुलाम अहमद मीर के लिए यह पहली परीक्षा थी, जिसमें वे फेल हो गए।