nayaindia Arun Goyal resignation अरुण गोयल के इस्तीफे की क्या कहानी

अरुण गोयल के इस्तीफे की क्या कहानी

Arun Goyal resignation
Arun Goyal resignation

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से ऐन पहले इस्तीफा दिया और राष्ट्रपति ने उसे तत्काल स्वीकार भी कर लिया। यह हैरान करने वाला घटनाक्रम है। इससे पहले अशोक लवासा ने भी इस्तीफा दिया था लेकिन उनका इस्तीफा मंजूर होने में 13 दिन लग गए थे। सवाल है कि क्या गोयल का इस्तीफा पहले से तय था? इसे लेकर भी दो तरह की चर्चाएं हैं। Arun Goyal resignation

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पहली चर्चा तो यह है कि जिस बिजली की रफ्तार से गोयल नियुक्त हुए थे उसी रफ्तार से उनका इस्तीफा मंजूर होने से लग रहा है कि सरकार को अंदाजा था। दूसरी चर्चा के मुताबिक अगर अंदाजा होता तो शनिवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी की बैठक नहीं रखी गई होती। गौरतलब है कि रिटायर हुए चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की जगह नई नियुक्ति के लिए शनिवार को तीन सदस्यों की कमेटी की बैठक होने वाली थी, जिसे गोयल के इस्तीफे के बाद टाल दिया गया।

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चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर दो कहानियां हैं। पहली कहानी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ उनके मतभेद को लेकर है। कहा जा रहा है कि पिछले करीब एक साल से दोनों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे। जानकार सूत्रों के मुताबिक शिव सेना के मामले में आयोग ने जो फैसला किया गोयल उससे सहमत नहीं थे।

गोयल का कहना था कि शिव सेना के मामले में फैसला करने के लिए सिर्फ विधायकों या सांसदों की संख्या को आधार बनाने के साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि संगठन में किसकी ताकत ज्यादा है। ध्यान रहे सत्तर के दशक से यह नियम स्थापित है कि पार्टी टूटने की स्थिति में सिर्फ विधायकों या सांसदों की संख्या के आधार पर फैसला नहीं होगा, बल्कि संगठनात्मक शक्ति का भी आकलन किया जाएगा।

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यह पहली बार हुआ कि विधायकों और सांसदों की संख्या के आधार पर एकनाथ शिंदे गुट को असली शिव सेना का दर्जा दे दिया गया। बाद में इस फैसले को ही आधार बना कर अजित पवार वाले गुट को असली एनसीपी माना गया। राजीव कुमार और अरुण गोयल के बीच विवाद का दूसरा मुद्दा इसी मामले में दिया गया अतिरिक्त हलफनामा है। बताया जा रहा है कि अनूप चंद्र पांडेय और अरुण गोयल की जानकारी के बगैर सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामा दिया गया था। उप चुनाव आयुक्त को बुला कर अरुण गोयल ने इस बारे में पूछताछ भी थी।

मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ मतभेद के अलावा दूसरी कहानी यह बताई जा रही कि पंजाब के एक बिल्डर के साथ संबंधों की चर्चा के कारण गोयल को इस्तीफा देना पड़ा। बताया जा रहा है कि आयकर विभाग और ईडी ने कुछ समय पहले पंजाब के एक बड़े बिल्डर के यहां छापा मारा था, जिसके कागजात की जांच अभी हो रही है। इस मामले में तीन हजार करोड़ रुपए के लेन देन की गड़बड़ी पकड़े जाने की खबर है।

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पंजाब काडर के आईएएस अधिकारी गोयल जब राज्य में शहरी विकास मंत्रालय के सचिव थे तब उनकी इस कंपनी के साथ करीबी की खबरें बताई जा रही हैं। ध्यान रहे गोयल बाद में केंद्र सरकार में भी शहरी विकास मंत्रालय में रहे थे। बताया जा रहा है कि पंजाब के बिल्डर वाले मामले में उनका नाम आने की आशंका है, जिसकी वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया है। वैसे गोयल को बादल परिवार का बेहद करीबी माना जाता है।

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