केरल की तिरूवनंतपुरम सीट से लोकसभा का चुनाव जीते शशि थरूर के बारे में माना जा रहा है कि वे एकदम भाजपा के दरवाजे पर खड़े हैं और किसी भी समय उनके लिए दरवाजा खुल सकता है। लेकिन सवाल है कि दरवाजा खुलेगा तो उनके लिए क्या भूमिका होगी? वे कांग्रेस से इसलिए नाराज हुए हैं क्योंकि कांग्रेस के पास अब उनको देने के लिए कुछ नहीं है। कांग्रेस सरकार में थी तो उनको मंत्री बनाया गया था। अब थरूर को लग रहा है कि कांग्रेस सरकार में नहीं आ रही है। इसलिए उन्होंने केरल में अपने को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश करने का दबाव कांग्रेस नेतृत्व पर बनाया। लेकिन राहुल गांधी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। वैसे भी वहां केसी वेणुगोपाल के रहते थरूर के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं है।
तभी वे भाजपा में इस सोच के साथ जाना चाहते हैं कि केंद्र में मंत्री बन जाएंगे। परंतु यह तभी संभव होगा, जब वे सांसद रहेंगे। अगर वे कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनको लोकसभा से इस्तीफा देना होगा और उपचुनाव में जीतना होगा। अगर वे सोच रहे हैं कि भाजपा उनको राज्यसभा भेज देगी तो उसके लिए इंतजार करना होगा। राज्यसभा की आठ सीटों के लिए 19 जून को चुनाव है। लेकिन उसमें भाजपा की दो ही सीटें हैं और वह थरूर को नहीं भेज सकती है। उसके बाद अगले साल अप्रैल में राज्यसभा के दोवार्षिक चुनाव हैं। इसलिए लोकसभा से इस्तीफा देकर थरूर मंत्री बनते हैं तो छह महीने में सांसद बनने की एकमात्र संभावना यह है कि वे तिरूवनंतपुरम से जीतें।
गौरतलब है कि पिछली बार थरूर के खिलाफ भाजपा ने राजीव चंद्रशेखर को लड़ाया था, जिनको अभी प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया है। वे बहुत कांटे की टक्कर के बाद थरूर से हारे थे। सो, भाजपा को उम्मीद है कि अगर थरूर लड़ें और चंद्रशेखर उनकी मदद करें तो वे जीत सकते हैं। लेकिन क्या थरूर यह जोखिम लेने को तैयार हैं? अगर वे जोखिम लेकर लड़ते हैं और चुनावी साल में लेफ्ट, कांग्रेस को हरा देते हैं तो यह भाजपा के लिए बहुत बड़ी बात होगी। राजीव चंद्रशेखर के विधानसभा चुनाव लड़ने की ज्यादा संभावना है।