कर्नाटक में कांग्रेस का सत्ता संघर्ष दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने भले कह दिया हो कि अभी उनका समय नहीं आया है और 2028 में वे मुख्यमंत्री बनेंगे, जब फिर से कांग्रेस की सरकार बनवाएंगे। लेकिन उनको भी पता है कि 2028 किसने देखा है। इस बार वोक्कालिगा समुदाय उनको मुख्यमंत्री बनाने के लिए जेडीएस को छोड़ कर कांग्रेस के साथ जुड़ा था। अगर अगले चुनाव तक वे मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तो 2028 में भी वोक्कालिगा कांग्रेस को ही वोट देगा, इसकी गारंटी नहीं रह जाएगी। वोक्कालिगा मतदाता स्थायी रूप से जेडीएस और एचडी देवगौड़ा परिवार को छोड़े इसके लिए जरूरी है कि शिवकुमार सीएम बनें। लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पूरा कुनबा डीके शिवकुमार के खिलाफ काम कर रहा है।
सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने अपने पिता के उत्तराधिकारी के तौर पर सतीश जरकिहोली का नाम अनायास नहीं आगे बढ़ाया है। सतीश जरकिहोली दलित समाज से आते हैं और कर्नाटक के एक बड़े हिस्से में उनके परिवार का राजनीतिक वर्चस्व है। यतींद्र ने बाद में स्पष्ट भी किया वे जरकिहोली को मुख्यमंत्री पद देने की बात नहीं कह रहे थे, बल्कि अहिंदा राजनीति का उत्तराधिकार सौंपने की बात कर रहे थे। अहिंदा राजनीति कर्नाटक की पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय की राजनीति है। मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक और सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र दोनों राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की गतिविधियों पर रोक लगाने यहां तक की पाबंदी लगाने के पक्षधर हैं। दोनों कांग्रेस को ऐसी राजनीति की ओर ले जा रहे हैं, जिसमें शिवकुमार के लिए जगह नहीं बन पाएगी। शिवकुमार वोक्कालिगा राजनीति करते हैं और धार्मिक कर्मकांडों को मानते हैं। वे अपनी हिंदू पहचान के साथ राजनीति करते हैं, जबकि कांग्रेस उससे दूसरी दिशा में जा रही है।


