Wednesday

30-04-2025 Vol 19

खड़गे क्यों नहीं बना पा रहे हैं संगठन?

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मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बने नौ महीने होने जा रहे हैं। पिछले साल अक्टूबर के अंत में उन्होंने अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था। इस महीने के अंत में उनको अध्यक्ष बने नौ महीने हो जाएंगे। कांग्रेस के एक नेता ने एआईसीसी में कुछ पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि इतने समय में एक बच्चा पैदा हो जाता है लेकिन खड़गे ने अभी तक संगठन नहीं बनाया। न तो नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की है और न कार्य समिति का गठन किया गया है। एक बार के बाद स्टीयरिंग कमेटी की बैठक भी नहीं हुई है। पार्टी के नेता मान रहे हैं कि संगठन बनाने में देरी से नुकसान हो रहा है।

मिसाल के तौर पर महाराष्ट्र में घटनाक्रम इतनी तेजी से बदल रहा है लेकिन कांग्रेस के पास वहां कोई पूर्णकालिक प्रभारी नहीं है और प्रदेश की स्थिति में भी लेम डक अध्यक्ष वाली है। ध्यान रहे महाराष्ट्र में कर्नाटक के वरिष्ठ नेता एचके पाटिल को प्रभारी बनाया गया था। लेकिन अब वे कर्नाटक सरकार में मंत्री बन गए हैं इसलिए वे महाराष्ट्र में समय नहीं दे पा रहे हैं। इसी तरह नाना पटोले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं लेकिन पिछले कई महीनों से उनको बदलने की चर्चा हो रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता बालासाहेब थोराट सहित कई नेता उनसे नाराज हैं और कई नेताओं ने दिल्ली में पार्टी आलाकमान से उनको बदलने की मांग की है। सहयोगी पार्टियां भी उनके साथ सहज नहीं हैं। फुलटाइम प्रभारी नियुक्त नहीं करने और अध्यक्ष का फैसला टलने से पार्टी को नुकसान हो रहा है।

इसी तरह तमिलनाडु के प्रभारी दिनेश गुंडुराव भी कर्नाटक सरकार में मंत्री बन गए हैं। उनकी जगह भी एक पूर्णकालिक प्रभारी की नियुक्त करनी है। राजस्थान के नेता रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी बनाया गया था लेकिन पिछले साल की हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया हुआ है। ऊपर से उनके राज्य में अगले चार महीने में चुनाव होने वाले हैं। सो, पार्टी को उनको मुक्त करना चाहिए ताकि वे अपने राज्य के चुनाव में ध्यान दें। याद करें कैसे कांग्रेस ने उत्तराखंड के नेता हरीश रावत को उनके राज्य में चुनाव के ऐन समय तक पंजाब का प्रभारी बनाए रखा था। इसका कांग्रेस को नुकसान हुआ था।

बहरहाल, सवाल है कि खड़गे अपना संगठन क्यों नहीं बना पा रहे हैं? क्या उनको डर है कि संगठन बनने के बाद पार्टी में बिखराव हो सकता है? कहा जा रहा है कि सोनिया और राहुल गांधी ने उनको अपनी टीम बनाने की खुली छूट दी है लेकिन वे जोखिम लेना नहीं चाहते हैं। वे सोनिया और राहुल की टीम को डिस्टर्ब नहीं करना चाह रहे हैं इसलिए अभी तक यथास्थिति बनी हुई है। यह भी कहा जा रहा है कि खड़गे अभी चुनाव वाले राज्यों पर ध्यान दे रहे हैं और राहुल गांधी के साथ मिल कर चुनावी राज्यों में नेताओं के बीच एकजुटता बनवाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद ही केंद्रीय संगठन और राज्यों में बदलाव के बारे में फैसला होगा।

NI Political Desk

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