Wednesday

23-04-2025 Vol 19

सांसदों को निलंबित करने के बहुत फायदे हैं!

संसद सत्र के दौरान सांसदों को निलंबित करने का एक तात्कालिक फायदा तो यह होता है कि सरकार को विधेयकों को पास कराने में ज्यादा माथपच्ची करने की जरुरत नहीं होती है। लोकसभा में तो वैसे भी सरकार के पास बहुत बड़ा बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसकी संख्या बहुमत से कम है। सो, सासंद निलंबित हो जाते हैं तो आराम से विधेयक पास हो जाता है। बाकी बहस में समय बचता है और कोई संशोधन वगैरह भी पेश नहीं करता है और न डिवीजन की मांग करता है तो वोटिंग कराने की जरुरत नहीं पड़ती है। इससे बहस का समय भी कम होता है और बिल ध्वनिमत से दो मिनट में पास हो जाता है। ये सारे फायदे तो सबको दिखते हैं लेकिन कुछ और फायदे भी हैं, जो दिखते नहीं हैं।

उनमें सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार सवालों के जवाब देने से बच जाती है। शीतकालीन सत्र में संसद के दोनों सदनों के 146 सांसद निलंबित किए गए। इन 146 सांसदों ने कुल 357 सवाल पूछे थे, जिसमें तारांकित और अतारांकित दोनों तरह के सवाल थे। सरकार को इन सवालों के जवाब नहीं देने पड़े क्योंकि सदस्यों को निलंबित करने के बाद स्पीकर और सभापति के पास यह अधिकार है कि वे उनके द्वारा पूछे गए सवालों को सूची से हटा दें। सोचें, यह कितना बड़ा फायदा है। विपक्षी सांसद ऐसे ऐसे सवाल पूछते हैं, जिनका जवाब देने से सरकार की पोल खुलती है। कई बातों की सचाई सामने आती है। सांसद इस तरह के सवाल पूछते हैं कि देश पर कितना कर्ज बढ़ गया, अरबपतियों का कितना कर्ज माफ हो गया, कॉरपोरेट टैक्स घटाने से सरकार को कितना नुकसान हुआ, टुकड़े टुकड़े गैंग किसको कहते हैं आदि। इनके जवाब से पता चलता है कि सत्तारूढ़ दल की ओर से जो कुछ कहा जाता है असलियत बिल्कुल उससे अलग है। इसलिए अगर सवाल नहीं पूछे जाएं तो बहुत फायदा हो जाता है।

NI Political Desk

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